Description
ABOUT THE BOOK
यह कहानी समर्पित है उन धरतीवीरों और पर्यावरणवीरों को जिन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया प्रकृति को बचाने में…. और यह बताने में कि प्रकृति हमसे हमारे जीवन के उपहार के प्रतिफल के रूप में कुछ नहीं मांगती, सिवाय प्रेम और संरक्षण के | पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सभी इस बात को समझते हैं लेकिन हम मनुष्यों को ये बात समझ में ही नहीं आती है | अपनी आख़िरी हद तक हम अपने लालच के लिए खुलकर प्रकृति का दोहन करते हैं और भूल जाते हैं कि प्रकृति का एक दूसरा रूप भी होता है जिसे प्रतिशोध कहते हैं | बाढ़, सूखा, भूकम्प, भू-कटान, गिरता जल स्तर, बढ़ता तापमान आदि प्रकृति का प्रतिशोध ही हैं |
अभी भी समय है | इससे पहले कि प्रकृति के प्रतिशोध का प्रकोप हमारी आने वाली पीढ़ियों को झेलना पड़े, हमें खड़ा होना होगा हर उस मनुष्य के विरूद्ध जो अपने लालच के लिए प्रकृति के अंधाधुंध दोहन में लिप्त है |
यह कहानी प्रकृति-माफियाओं के विरुद्ध एक कदम है…. आइये इस कदम को एक कारवां बनाएं |
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