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Rishton Ki Turpai Ho

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by Vijay Rathore

ISBN: 9789389482010

PRICE: 200/-

Pages: 131

Category: POETRY / Subjects & Themes / Inspirational & Religious

Delivery Time: 7-9 Days

 

Description

इस संग्रह में सजलकार जीवन के उत्तरार्ध में कुछ दार्शनिक दिखते हैं। ईश्वर की भक्ति में उनका मन रमने लगता है। मात्रिक ही नहीं वार्णिक छन्दो को भी उन्होने अपनी सजलों में पिरोया है। उपमा, रूपम, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास पुनरूक्ति, आदि अलंकार उनकी रचना मे सहजता से प्राप्त होते है। कवि की भाषा प्रांजल है, भाव के अनुरूप और सम्प्रेषणीय है। देशज शब्दों को भी यथोचित सम्मान दिया गया है। नये उपमान प्रतीक एवं बिम्ब मन को छू लेने वाले है। इन्ही कारणो से उनका यह सजल-संग्रह भावपक्ष एवं कलापक्ष की कसौटियों पर पूर्ण रूपेण खरा उतरता है। सजल हिन्दी की नई काव्य विधा है। श्री विजय राठौर जी प्रथम सजल सप्तक के महत्वपूर्ण सजलकार है। उनका यह सजल संग्रह नये सजलकारों के लिए मील का पत्थर साबित होगा, जिससे वे अपनी यात्रा की दिशा एवं दशा का निर्धारण कर पायेंगे। कवि जितना उम्रदराज होता है उसकी रचनाएँ उतनी ही प्रखर, भावप्रवण एवं गंभीर होती हैं। सजलकार ने वही लिखा है जो उसने जिया है। आम आदमी के दुख दर्द, आंसु, संवेदना, व्यथा, पीड़ा, साहस, आशा, आकांक्षा, मनन चिंतन से युक्त यह सजल संग्रह सराहनीय और संग्रहणीय है।

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