Description
About the book
यह ‘कवित्त रामायण’ बिल्कुल सरल हिंदी को कविता रूप देकर लिखी हुई रामायण है, जिसको लिखने का अभिप्राय केवल, स्वयं को भगवान के अर्पण करना है। इस पुस्तक की रचना किसी भी धर्म या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं कि गई। बचपन से रामायण को पढ़ा और सुना है, अतः जो मेरी बुद्धि ने ग्रहण किया, उसी के अनुसार इसकी रचना हुई। मेरी तुच्छ बुद्धि से यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो, पाठकों से निवेदन है, मुझे अनजान जानकर क्षमा प्रदान करें।
About the author
मैं इस ‘कवित्त रामायण’ की लेखिका ‘शारदा शर्मा’ एक आयुर्वेदिक चिकित्सक हूँ। बचपन से छोटी छोटी कविताएं लिखने का व्यसन था, जो बड़े होते होते बढ़ता ही गया। जब भी मन में कोई भाव आते शीघ्र ही उसे कविता रूप देकर लिखने बैठ जाती, परंतु कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं इस ‘कवित्त रामायण’ की भी रचना करूंगी। मेरा जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ, मेरे स्वर्गीय दादा जी स्वयं लगभग चौदह धार्मिक पुस्तकों के रचयिता रहे हैं, जिनकी सबसे लोकप्रिय पुस्तक रामायण ही थी, जो कविता रूप में ही लिखी गयी थी। यह बात बचपन से मुझे आकर्षित और गर्वित करती रही है। इस ‘कवित्त रामायण’ की रचना से पहले मेरे जीवन में बहुत से बदलाव आए, जिनमें सबसे बड़ा सदमा था, मेरे भाई और बहन की मृत्यु, इस घटना ने मुझे और धार्मिक बना दिया। एक दिन ना जाने बैठे बैठे मन ने विचार किया कि कविताएं लिखने से अच्छा है कि स्वर्गीय दादा ‘पंडित छज्जुराम’ जी की राह पर चला जाये। बस उसी दिन से मैं इस पुस्तक की रचना में लग गई। मेरा मानना है कि भगवान हमें जन्म किसी प्रयोजन वश ही देते है, और मेरा जन्म संभवतः इस कार्य के लिए ही हुआ है।
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