Description
यात्रा जहां मन को असीम आनंद देती है वहीं पर अनुभवों की सूची में भी वृद्धि हो जाती है। यात्रा संस्मरण पर मेरे दो खण्ड आ चुके हैं – 1॰ मुसाफिर चलता जाए निरंतर (खण्ड – १)
2॰ मुसाफिर चलता जाए निरंतर (खण्ड – २)। इन दोनों खण्डों में मेरे द्वारा किए गए देश के विभिन्न स्थानों की यात्राओं को सचित्र वर्णित किया गया है। अब जो यह यात्रा प्रसंग का वर्णन है वह अन्य विभिन्न स्थानों की यात्राओं को समावेशित करते हुए अपने मीठे-खट्टे अनुभवों से भी सज्जित किया गया है। हमारा यह देश समस्त विविधताओं से परिपूर्ण है। यही विविधता ही इसकी विशेषता भी है। इस यात्रा संस्मरण में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता का भी वर्णन है जिसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है। बंगाल की यह भूमि साहित्य, संस्कृति एवं संस्कारों की पुण्य भूमि रही है तो साथ में क्रांतिकारियों, राष्ट्र भक्तों की जननी भी रही है। देश के साहित्य एवं संस्कृति को इस भूमि ने जहां अति समृद्ध किया है वहीं पर देश के स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन में अपने अनगिनत सपूतों को निछावर कर दिया। इस पावन भूमि में मेरा एक माह का प्रवास रहा एवं इस अवधि में मेरे द्वारा विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया गया। उसी का वर्णन अनुभवों के साथ किया है।
मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल की अपनी विशेषता है। इसके विभिन्न स्थलों की यात्रा करने का अवसर मुझे अपने मित्रों के साथ मिला। मेरे लिए इन यात्राओं ने संस्मरण एवं अनुभवों को समृद्ध किया। एक सौ दस वर्षीय हनुमान भक्त सियाराम बाबा के दर्शन करना मेरा सौभाग्य रहा तो वीर प्रतापी बाजीराव पेशवा की समाधि स्थल पर शीश नवाना मन के विचारों को आंदोलित कर गया। इन सभी यात्राओं ने मेरे यात्रा संस्मरण “मुसाफिर चलता जाए निरंतर (खण्ड – ३ )” का सृजन कर दिया। आवश्यकता अनुसार चित्रों को समावेशित कर संस्मरण को जीवंत करने का प्रयास किया है। इन यात्राओं में जैसा मैंने पाया, अनुभव किया अपने शब्दों में उतारकर इसे पुस्तक का स्वरूप देने का प्रयास किया है। आशा है यह यात्रा संस्मरण पाठकों को इन स्थानों की यात्रा एवं अनुभवों से साक्षात्कार कराने में सक्षम सिद्ध होगी।
हाँ, यात्रा सतत चलती रहेगी निरंतर…… मुसाफिर चलता जाये निरन्तर…..
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