Description
ABOUT THE BOOK
कभी तेज हवाओं में लरज़ती,
कभी सितारों सी चमचमाती ।
कभी बादलों से झाँकती,
कभी बारिशों में भीगती ।
कभी चटख धूप में तपती,
कभी खिलखिलाती,
कभी गमगीन ।
कभी बतियाती, कभी ख़ामोश ।
कभी हँसती, कभी रुलाती ।
“वो खिड़की”
क्या हुआ उस खिड़की का? कहाँ थी वो खिड़की?
फिर क्या कभी खुली वो खिड़की?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें रंजना प्रकाश जी का ये नया कहानी संग्रह
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