Description
उतरती शाम….वैसे तो शाम ढलती है, लेकिन मेरे लिए शाम उतरती है। इसीलिए इस कविता संग्रह का नाम ‘उतरती शाम’ है। इसमें कविता हैं, गीत हैं, गजलें हैं। और ये सब की सब अगर ना भी तो अगर एक या दो गीत, गजल, कविता आपके मन को छू सकें, आपकी आँखों में चमक ला सकें, तो मेरी कोशिश सफल हो जायेगी।
ये रचनाएँ वर्ष १९९८ से लेकर वर्ष २०२२ तक विभिन्न समयांतरालों में लिखी गई हैं। इतने समय में तो पीढ़ियाँ बदल जाती हैं, लेकिन मेरा पहला काव्य संग्रह अब आ रहा है। वजह कुछ भी नहीं। बहाने भी नहीं।
वैसे मेरी इन रचनाओं में बहुत से किरदार हैंं, जो केवल सर्वनाम के रूप में हैं। इन सर्वनामों की संज्ञाएँ? वो सब आपके मन में, आपकी यादों में, और हाँ आपके आस पास हैं। ये संज्ञाएँ आप सबके जीवन का अंग हैं, इसलिए मैंने इन्हें सर्वनाम रहने दिया है।
अब ये संज्ञाएँ, ये शाम, ये यादें….सब कुछ आपके हाथ में हैं।
आशा है यह संग्रह आपको पसंद आयेगा।
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