Description
ABOUT THE BOOK
एक फितुर है,
या फिर बहाना कोई।
तेरा रूठना,
परेशां कर गया।।
आखिर क्या चुभ गई,
किस बात का बुरा लगा।
जेहन मे अपने,
बस यही सवाल रह गया
यूं तो ऐहसान बहुत है,
उम्र भर का…।
बिछड़ा इस कदर कि,
मलाल रह गया।।
खूशबूऐ बहुत थी ,
गुलशन मे मगर।
तू जो गया तो,
बहार ले गया….।।
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