Description
ABOUT THE BOOK
सपने देखने से लेकर कुछ कर दिखाने का मज़बूत इरादा लिए रेल में सवार ख़ुद को खरोचता, भविष्य के बारे में सोचता एक युवक। परिस्थितियों से लड़कर सहमी मगर चमकती आँखों में कई सपने लिए खिड़की के पास बैठा अपनी मंजिल से आती हवाओं को महसूस करता अभिनेता बनने माया नगरी मुंबई पहुँचा एक युवा कलाकार।
क्या अपने सपनों को पूरा कर पाता है? क्या माया नगरी पहुँचते ही उसके संघर्षों का अंत हो जाता है या फ़िर होती है शुरुआत कुछ अनचाहे क़िस्सों की और नये संघर्षों की? इस बदलते परिवेश में नायक स्वयं को कैसे ढालता है, एक कलाकार के तौर पर ख़ुद को कैसे जीवित रखता है और अंततः नाटक किन परिस्थितियों से होकर गुजरते हुए अपने अंजाम तक पहुंच पाता है। ऐसे यथार्थ और संवेदना से परिपूर्ण संवादों और भावनाओं को पिरोकर “द शो मस्ट गो ऑन” नाटक के ज़रिए पाठकों और नाटक प्रेमियों के समक्ष प्रस्तुत करने की एक छोटी-सी कोशिश की गयी है।
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