Description
कभी सोचा नहीं था कि ये हुनर भी मेरे अंदर होगा | मैं शायरी करने लगूंगा| मैं भी ग़ज़ल लिखने लगूंगा | मेरी ही लिखी पंक्तियों में कहूँ तो कुछ यूं होगा : “ये ख़्वाहिश नहीं थी मेरी कि मैं शायर बन जाऊं मगर ज़िंदगी तेरे तजुर्बों ने मुझे शायर बना दिया” लिखने की कब शुरुआत हुई, कैसे हुई और कहाँ हुई ये सब किसी कहानी से कम नहीं | बात उन दिनों की है (साल-2003) जब मैं अपने कॉलेज में पढ़ाई करता था, तब वहां हमारे कंठ संगीत के अध्यापक आदरणीय डॉ०कृष्ण लाल सहगल जी जिन्हें ‘हिमाचल का गौरव’ और ‘हिमाचल का मोहम्मद रफ़ी’ भी कहा जाता है कक्षा में पढ़ाते-पढ़ाते ग़ज़ल के बारे में बताते थे और उर्दू के कुछ शब्दों का अर्थ सिखा देते थे| वो सब मेरे मन को भाता रहा और बड़ी तन्मयता के साथ ग़ज़ल सुनने और समझने का सफ़र शुरू हुआ|
About The Author
नाम : ऋषभ भारद्वाज जन्म : 11 जनवरी 1986, धर्मशाला, ज़िला – कांगड़ा (हि०प्र०) भारत मूलतः : पुराना बाज़ार करसोग , तहसील एवं डाकघर करसोग, ज़िला-मंडी (हि०प्र०) शिक्षा : M.A. & M. Phil – Music (Vocal), UGC – JRF, संगीत प्रभाकर (गायन) विशेष : वर्ष 2011 से वर्ष 2019 तक (08 वर्ष 2 माह तक ) मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत केन्द्रीय विद्यालय संगठन में संगीत शिक्षक के रूप में नियमित कर्मचारी के रूप में शिक्षण कार्य |
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