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Sindoori

125.00

By: Azaad Panchhi Mayank Vishnoi

ISBN: 9789354469664

Price: 125

Page: 56

Category: Poetry / General

Delivery Time: 7-9 Days

Description

ABOUT THE BOOK

इस काव्य पाठ का नाम सिंदूरी है, जिसका अर्थ होता है सिंदूर सा पवित्र रंग। दरअसल इस काव्य पाठ को लिखने का उद्देश्य केवल यही है कि समाज अब सच्चाई को जाने और भ्रम की चादर को खुद पर से हटाकर अपने जीवन के आधार को देखें जहां उसे कहीं न कहीं मजबूती से खड़ी एक नारी ही मिलेगी।
यह काव्य पाठ नारी सम्मान और नारी सशक्तिकरण के प्रति समर्पित है। इस काव्य पाठ का एक एक शब्द नारी के आगे नतमस्तक होकर बस अपना धर्म निभा रहा है, धर्म “जनजागृति अभियान चलाकर समाज में चेतना लाने का”

“सिंदूरी एक संकल्प है नारी सम्मान के रक्षण का
सिंदूरी एक संकेत है सकारात्मक परिवर्तन का
सिंदूरी का अर्थ है स्वच्छ और विस्तृत आकाश,
सिंदूरी का अर्थ है ज्ञान का शास्वत प्रकाश..”

-✍🏻आजाद पंछी ‘मयंक’
#मयंकविश्नोई

यह काव्य पाठ समाज का ध्यान नारी के संघर्षों की ओर आकर्षित कराना चाहता है कि कैसे नारी हर युग, हर रूप में श्रृष्टि को अपने तप, त्याग और प्रेम से सींचती है। इस काव्य पाठ को लिखने की प्रेरणा मुझे कहीं और से नहीं वरन् अपनी माँ से ही मिली है।

सिंदूरी के माध्यम से एक जनजागृति आयेगी जो समाज में समान अधिकारों के लिए और अन्याय के खिलाफ लड़कर केवल न्याय का पक्ष मजबूत व न्याय की विजय सुनिश्चित करेगी। इस काव्य पाठ का उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करने या किसी की भावनाओं का उपहास बनाने का कदापि नहीं है।

ABOUT THE AUTHOR

एक साधारण से परिवार में जन्म लेकर मैंने खुशियों को हर छोटे-बड़े पलों में जिया, मैंने हर उस चीज को पाने के लिए कड़ा संघर्ष किया जिस भी चीज को पाने की मुझमें चाहत जगी।
हालांकि कई बार मुझे चीजें मिली तो कई बार केवल निराशा ने मेरा चौतरफा घेराव किया पर मैंने कभी हताशा को अपना हक नहीं समझा‌।
आज की उत्तराखंड देवभूमि (तब के उत्तर प्रदेश) की प्राचीनतम नगरियों में से एक काशीपुर में मेरा जन्म ०५ अगस्त १९९८ में एक सनातनी हिन्दू परिवार में हुआ।
बचपन से ही पिता का साया सिर पर न होने से कई बनते-बिगड़ते हालात को मेरी नन्हीं आंखों ने कई बार देखा। बचपन से ही माँ को संघर्ष करते और उनकी पीड़ाओं को बेहद नजदीक से देखा।

जीवन में कई गुरु और अच्छे दोस्तों का साथ मिलता गया और काफिला जुड़ता गया जिन्होंने मेरे हर संकल्प को अपना समर्थन दिया। ऐसे ही एक गुरु “अटल बिहारी वाजपेई जी” थे जिनकी कविताओं के शब्दों ने मुझे हर परिस्थिति में डटे रहना सिखाया और जिनके निधन ने मुझे अकेले लड़ना सिखाया और एक कवि बनाया।

मेरा लक्ष्य है कि मेरे शब्द, मेरे विचार आज की युवा पीढ़ी से लेकर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच कर उनके रक्त में ऐसे घुल मिल जाए जैसे पानी में चीनी या आटे में नमक और तब मेरे शब्द समाज में एक क्रान्ति और केवल एक सकारात्मक परिवर्तन लाएं।

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