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Shukravar Ki Sham

279.00

By: Avinash Jain

ISBN: 9789356732162

Page: 100

Price: 279

Delivery Time: 7-9 Days

Description

ABOUT THE BOOK

शुक्रवार की शाम, जिसका सभी को इंतज़ार रहता है क्योंकि यह सप्ताह का आखिरी कामकाज़ी का दिन होता है। ऐसी शाम, जब लगभग सभी अपने निज़ी मसलों को सँभालने में लग जाते है, किसी की ज़िंदगी में मसलें नहीं होते तो वें इस बात का जश्न मनातें है, और कई अपने चाहने वाले लोगों के साथ नई नई यादें बनाते है। अविनाश ने इन शामों में क़लम के साथ ढ़ेर सारी बातें की, जिन्हे वो इस क़िताब के ज़रिये उन सभी लोगों से कहना चाहता है जिनकी वज़ह से आज क़लम से उसका इतना गहरा रिश्ता है।

ABOUT THE AUTHOR

शुक्रवार की शाम, जिसका सभी को इंतज़ार रहता है क्योंकि यह सप्ताह का आखिरी कामकाज़ी का दिन होता है। ऐसी शाम, जब लगभग सभी अपने निज़ी मसलों को सँभालने में लग जाते है, किसी की ज़िंदगी में मसलें नहीं होते तो वें इस बात का जश्न मनातें है, और कई अपने चाहने वाले लोगों के साथ नई नई यादें बनाते है। अविनाश ने इन शामों में क़लम के साथ ढ़ेर सारी बातें की, जिन्हे वो इस क़िताब के ज़रिये उन सभी लोगों से कहना चाहता है जिनकी वज़ह से आज क़लम से उसका इतना गहरा रिश्ता है।

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