Description
About the book
‘सौगात’ – एक कहानी संग्रह है, जिनमें विभिन्न-विविध प्रसंगों पर आधारित कहानियाँ प्रस्तुत की गई है। जो समाज के विभिन्न रूपों का आज व कल के संदर्भ में चित्रण करती हैं। कुछ कहानी सुखांत हैं तो कुछ दुखांत। कहीं वेदना है तो कहीं प्रफुल्लता। कहीं व्यंग है तो कहीं सीख। इसके किस्से-कहानी बहुत से लोगों के दिलों को छूकर उनकी यादें ताजा करेंगे। कई कहानियाँ उन्हें स्वयं अपनी, अपने परिवेश-समाज की लगेगी। इनमें से कई कहानियाँ स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन के साथ पंजीकृत होने के साथ-साथ कई ई-पत्रिकाओं में भी छप चुकी हैं। संग्रह की समाप्ति नानी-दादी की एक रोचक कहानी से की गई है। जो मैंने पहली बार पता नहीं किस उम्र में, कब सुनी थी! इसका मूल स्रोत मुझे ज्ञात नहीं। दादी-माँ ने यह अपनी दादी से सुनी थी तो उसकी दादी ने किससे…! यह मूलतः व्यक्तिगत अनुभव आधारित कहानी संग्रह है। जिसमें यहाँ-वहाँ देखी-सुनी बातों को गुण कर कहानी रूप में बुना गया है।
About the author
आप तेजी से बदलते युग के न केवल साक्षी बल्कि भागीदार भी रहे है। शिक्षा में तख्ती-दवात से लेकर लैपटॉप, यातायात में बैलगाड़ी से लेकर हवाई जहाज, संचार में पोस्टकार्ड से लेकर मोबाइल…! … गाँव के सादे जीवन से लेकर बड़े शहर की आपाधापी, गाँव की चौपाल से लेकर फाइव स्टार होटलों की कांफ्रेंस…! आपके जीवन का हिस्सा रहे। सब कुछ कल्पनातीत! दो विपरीत लोकों की यात्रा जैसा। जो आपकी कहानियों की विविधता में भी परिलक्षित होता हैं। आपके पेशेवर जीवन के 37 वर्ष बेहद व्यस्त रहे। इस दौरान शांति से बैठकर कुछ सोचने का समय तक नहीं मिला। जब कभी थोड़ा-बहुत समय मिला कुछ लिखा, पर वह सब आत्म-सुखाय तक सीमित था। फिर, अचानक सब कुछ थम गया, …पूर्ण विराम! …सब घरों में कैद! ऐसे नितांत सन्नाटे में आपने अपने आलेखों की समीक्षा करते हुए गंभीरता से काम करना शुरू किया। जिसके फलस्वरूप लगभग तीन दर्जन कहानियों, एक संस्मरण संग्रह, दर्जनों कविताओं व तीन उपन्यासों का खजाना आपके पास संकलित है।
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