Description
उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में देवभूमि हिमाचल की अपनी महत्ता है तथा इस देवभूमि में हिमाचल के बुशैहर रियासत (वर्तमान तहसील) में अनेक देवी-देवताओं का उद्भव हुआ है तथा इनमें कुछ एक देवी-देवता अद्वितीय शक्ति, पराक्रम व पुरातन इतिहास के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। आवश्यकता है सिर्फ जानकारी की व समग्र इतिहास की जो उपलब्ध नहीं है। कुछ एक लेखकों ने इस पर प्रकाश डालने की कोशिश की जो ना तो पूर्ण है, न ही सही जानकारी उपलब्ध है, क्योंकि उन्होंने भ्रमण किए बिना या अधूरे शोध कर एक स्थान पर बैठकर इधर-उधर से जानकारी एकत्रित कर इतिहासकार बनने की गलत चेष्टा पाली, जो किसी भी जानकारी व इतिहास के साथ एक घिनौना मजाक है। इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए लेखक द्वारा गहन शोध और प्रत्येक क्षेत्र का भ्रमण कर बारीकी से क्षेत्र के देवी-देवताओं और गाँव की राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक स्थिति को एक सूत्र में पिरोया गया है।
About the Author
रामपुर बुशैहर के इतिहास का एक अवलोकन “डॉक्टर रणजीत सिह कैदारटा” कि हिन्दी विषय मे प्रकाशित यह प्रथम पुस्तक है। लेखक ने इस किताब को लिखने मे लगातार कई वर्षो (2000-2006) तक अथक प्रयास और गहन शोध कार्य किया है। इस पुस्तक मे लेखक ने रामपुर बुशैहर के इतिहास के विषय मे प्रकाश डाला है कि किस प्रकार इस रियासत कि स्थापना हुई और किन किन राजाओं का शासन रहा। इसके अलावा इस पुस्तक मे स्थानीय देवी-देवताओं कि उत्पत्ति का इतिहास, माँ श्री भीमाकाली का पौराणिक इतिहास और उत्पत्ति, लोगो की दैनिक स्थिती, शिक्षा, कृषी, समाजिक और संस्कृतिक स्तिथी को उजागर किया है, साथ ही पुस्तक मे स्थानीय देवी-देवताओं का, माँ श्री भीमाकाली का और रामपुर बुशैहर के धार्मिक स्थलो को फोटो द्वारा वहाँ की सुन्दरता को बताने का एक छोटा सा प्रयास किया गया है। डॉक्टर रणजीत सिह कैदारटा का जन्म सराहन बुशैहर शिमला के हिमाचल प्रदेश मे हुआ है। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तको मे यह पुस्तक प्रमुख है। उनके पिता स्व. श्री मोहर सिंह कैदारटा सरकारी सेवा मे थे और माता गृहणी है। डॉक्टर रणजीत सिह कैदारटा को लिखने और पढ़ने की लगन बचपन से ही थी। किंतु इसके लिए उन्हें अनुकूल वातावरण न मिल सका। इसके बावजूद इन्होने अपनी बी.ए की डिग्री स्नातकोतर महाविद्यालय रामपुर बुशैहर से ऊतीर्ण कि और स्नातकोतर कि डिग्री इतिहास और समाजशास्त्र प्रथम श्रेणी मे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से ऊतीर्ण कि है। इसके अलावा लेखक ने पत्रकारिता विषय मे भी डिपलोमा किया है। सन 1998 मे लेखक ने राष्ट्रीय स्तर कि परीक्षा (NET ) और राज्य स्तर कि परीक्षा (SET) भी ऊतीर्ण कि है। 2005 मे अपने शोध कार्य पर डॉक्टर ऑफ़ फिलोसपी (Ph. D) कि उपाधि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से प्राप्त कि है। इन्होने 2001 मे अपना अध्यापन कार्य शुरू कर दिया था, यह बच्चो मे काफी प्रसिद्द है और ईमानदारी, न्यायप्रिय, कर्मठ, जूझारूपनता की एक प्रतिमूर्ती है। डॉक्टर रणजीत सिह कैदारटा बचपन से ही साहसिक कार्यों को करने मे विश्वास रखते थे। लेखक कविता पाठ, निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, क्विज और संस्कृतिक गतिविधियों मे बढ़चढ़ कर भाग लेते थे। इन्होने कई बार अपनी टीम का हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला कि खेलकूद और संस्कृतिक प्रतियोगिता मे ना केवल प्रतिनिधित्व और मार्गदर्शन किया अपितु इनके नेतृत्व मे टीम ने हर साल सभी गतिविधियों मे प्रथम स्थान प्राप्त किया था जिसके लिए इन्हे दो बार सर्वश्रेष्ठ टिचर सम्मान से नवाजा गया था। समयानुसार उनके लेख पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगे। और धीरे-धीरे उनकी विद्वत्ता का यश चारों ओर फैल गया। इन्होने अभी तक लगभग 500 लेख विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं और समाचार पत्रों मे छप चुके हैं, दो अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध पत्र भी प्रकाशित हुए हैं, कई चर्चाओं, गोस्टियों और सेमिनार मे इन्होने भाग लिया है। यह गरीबों और असहाय दबे कुचले लोगों के मदद के लिए हमेशा तत्त्पर रहते है। इनके जीवन का मूलमंत्र इंसानियत है। यह कहते है कि इंसान रहे ना रहे पर इंसानियत हमेशा ज़िन्दा रहनी चाहिए। इनको जीवन मे बेईमानो, झूठे, भ्रष्ट और धोखेबाज लोगों से सख्त नफरत है। इनका स्वयं का जीवन भी सादगी भरा है इन्होने कभी जीवन मे मांस मदिरा और नशे का सेवन नही किया है। इनकी इस पुस्तक के अलावा पांच अन्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। डॉक्टर रणजीत सिह कैदारटा ज़मीन से जुडे इंसान होने के कारण इस पुस्तक मे भी लोगो की भवनाओं का ध्यान रखा गया है और साथ ही किताब को असान और सरल भाषा मे लिखा गया है। फिर भी अगर इस पुस्तक के कारण किसी कि धार्मिक या व्यक्तिगत दुख पहूँचा हो तो इसके लिए लेखक क्षमा याचना चाहता है.. आपका अपना लेखक डॉक्टर रणजीत सिह कैदारटा
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