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Rahasyamayi Aagaaz – kuchal kar rakh dia zamane ne us parindey ko, Magar uski aankho mein bagavat ab bhi jari h.

245.00

by Shubham Rahasyamayi

ISBN: 9789390586462

PRICE: 245

Pages: 167

Language: Hindi

Category: POETRY / General

Delivery Time: 7-9 Days

  

     

Description

यह पुस्तक बनावटी मुखोटे से बने चेहरों को साफ आइना दिखाती है यहां पर उन लोगों से सीधी बगावत करी गई है जो लोग खुद को खुदा समझने लगे हैं गरीबों पर अत्याचार कर उनकी आवाजों को दबाकर उन पर राज करना चाहते, जब तक यह सियासत बेकसूर ओं को सताती रहेगी, सच बताऊं तो ऐसी रहस्यमयी महामारी दुनिया में आती रहेंगी,

About The Author

यह पुस्तक बनावटी मुखोटे से बने चेहरों को साफ आइना दिखाती है यहां पर उन लोगों से सीधी बगावत करी गई है जो लोग खुद को खुदा समझने लगे हैं गरीबों पर अत्याचार कर उनकी आवाजों को दबाकर उन पर राज करना चाहते, जब तक यह सियासत बेकसूर ओं को सताती रहेगी, सच बताऊं तो ऐसी रहस्यमयी महामारी दुनिया में आती रहेंगी,

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