Description
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में पञ्च तत्वों के बाद यदि कोई वस्तु व्याप्त है तो उसका नाम है संगीत। प्राणिमात्र पर संगीत अपना प्रभाव रखता है। कारण चाहे जो भी हो किन्तु अत्यंत विषयुक्त सर्प भी संगीत की धुन के आगे अपनी सुध-बुध खो बैठता है। सृष्टि के आदि काल से ही संगीत का अस्तित्व रहा है और सदा सर्वदा रहेगा। मेरा तो यहाँ तक मानना है कि एक मात्र संगीत ही वो कला है जिसमें मृत व्यक्ति को जीवित कर देने की शक्ति समाहित है।
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