Description
प्रेमपत्र का सूखा पाटल गीत संग्रह की प्रातिभ कवयित्री डॉ मंजुला हर्ष श्रीवास्तव “मंजुल” जी जितनी प्रखर सृजनधर्मी हैं उससे कहीं अधिक मननधर्मीं भी हैं। सामयिक संदर्भों से जुड़कर यह गीत संग्रह अपनी सर्जनात्मक सार्थकता के साथ जीवन के इंद्रधनुषी रंगों को शब्दपुष्पों की माला में पिरोकर प्रकाशन के मंगल द्वार पर खड़ा है। उनका यह समर्पण भाव मेरी दृष्टि में सर्वथा वन्दनीय, श्लाघनीय, स्तुत्य प्रयास है। उनकी गीत रचनाओं का अवगाहन मन-वाणी और ज्ञान का परिमार्जन करता है। अन्तःकरण की मुक्ति के द्वार खोलता है। उनकी काव्य सर्जना कोमल संवेदनाओं का ऐसा आकर्षक गुलदस्ता है जिसमें जीवन है, कविता है, शाम है सबेरा है, सुख-दुःख, दर्द और मुक्ति का अनुभास भी है उनकी सृजनधर्मिता वस्तुतः उन पलों की ओर निरंतर अग्रसरता की प्रतीति है जहाँ सौंदर्य की अनुभूति के साथ, अपनत्व का बोध भी है। कहीं प्रेम कहीं आक्रोश तो कहीं अंतरंग अनुभूतियों की धड़कनों में मचलती छटपटाहट भी है।
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