Description
ABOUT THE BOOK
“निःशब्द निगाहें ”
निगाहें हैं, पर शब्द नहीं है; साज है पर आवाज नहीं है; संगीत है पर सुर नहीं है; दूर है, पर पास नहीं है । वह शब्द, आवाज, सुर और समीपता पाने की ज्वलंत अभिलाषा में मरुस्थल वृक्ष जल धारा की प्रतीक्षा तक उन स्वरों को, शब्दों को आवाज को ढालने का प्रयास“निःशब्द निगाहें” है ।
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