Description
यात्राओं का सिलसिला तो सतत चलता ही रहता है। यात्राएं अनुभव देती हैं, यात्राएं उर्जा देती हैं एवं यात्राएं आनंद देती हैं। यात्राओं के संस्मरण पर मेरी पहली पुस्तक “ मुसाफिर चलता जाए निरंतर –(खंड-1) ” पहले प्रकाशित हो चुकी है। वह पुस्तक मेरी पांच छोटी-बड़ी यात्राओं के संस्मरणों पर आधारित थी। यह पुस्तक “ मुसाफिर चलता जाए निरंतर – (खंड2) ” सिर्फ एक ही यात्रा पर प्राप्त संस्मरणों को लेकर लिखी गयी है। यह यात्रा मेरे परिवार के साथ शिमला की यात्रा थी। इस यात्रा में इतने अधिक अनुभव मिले कि उसे लिखने में एक किताब ही पूर्ण हो गयी। यह शिमला की यात्रा अनेकों घटनाओं, हादसों, रोमांच एवं आनंद से परिपूरित रही। सब कुछ इतना अप्रत्याशित एवं आकस्मिक रहा कि कई बार सोचने समझने का अवसर ही नहीं मिला पर उन अचानक आई परिस्थितियों से, समस्याओं से एक अदृश्य ईश्वरीय शक्ति के सहारे उबरते रहे, निकलते रहे। शिमला के प्राकृतिक सौन्दर्य ने जहां एक ओर अनुपम आनन्द एवं आंतरिक ऊर्जा का सृजन किया वहीँ अप्रत्याशित घटनाओं एवं हादसों की श्रृंखला ने एक अलग रोमांचकारी अनुभव भी दिया। यह शिमला की यात्रा का संस्मरण जो एक पुस्तक के स्वरूप में है, रोमांच, आनन्द एवं चुनौतियों से प्रत्यक्ष साक्षात्कार है। शिमला में प्राकृतिक दृश्यों की भरमार है जो ह्रदय को अदभुत आनन्द की अनुभूति प्रदान करती है। शिमला में कई ऐसे भवन हैं जिनका ऐतिहासिक राष्ट्रीय महत्व रहा है। साथ में घटित घटनाओं ने एक अलग अनुभव को जोड़ा है। इन सभी को समावेशित कर इस यात्रा संस्मरण को शब्दों में पिरोकर सबके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस पुस्तक के द्वारा पर्वतों की रानी शिमला के सौन्दर्य को अपने दृष्टिकोण से वर्णित करने का साहस किया है जो आशा है सबको भायेगा, लुभाएगा। यह यात्रा संस्मरण डायरी लेखन की शैली में है जिसमे कहीं पारिवारिक रिश्तों की सुगंध है तो कहीं स्थल विशेष का विशिष्ट लेखा-जोखा है। सब कुछ जैसा पाया, अनुभव किया शब्दों में उतार दिया। यात्रा यूँ ही सतत जारी रहेगी। मुसाफिर यूँ चलता जाएगा निरंतर …..
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