Description
About the book
यह किताब न तो किसी शायर की है ना तो किसी कवि की है। खुद को ऐसा कहने से मैंने अभी अपने आप को थोड़ा रुक कर रखा है। यह किताब ज़िन्दगी के उन पहलुओं की है जिन्हें हम जीते तो हैं, लेकिन कागज और कलम से उतार नहीं पाते। मैंने बस अपने ख्यालों को ज़बान देने की कोशिश की है। लफ़्ज़ों को एक धागे में पिरो कर ख़्याल का रूप दिया है, शायद ये रूप किसी को हँसाने, रुलाने और दर्द का एहसास दिलाने के काबिल हो सके। मुझे तो यह भी नहीं पता था कि मैंने लिखना कब से शुरू किया। पर जब मेरे अल्फ़ाज़ों को कागज और कलम का साथ मिला तो कहानी खुद-ब-खुद लिख दी गई। वैसे तो इस किताब में कहानी नहीं कुछ गज़लें, शेर और कविताएँ है, पर जो भी है मेरी भावनाएँ हैं। अब आप मुझे पागल ही कहेंगे लेकिन जब दर्द होता है तब भी दिमाग में कुछ शब्द ही घूमते हैं, जब खुशी होती है तो लफ़्ज़ खुद-ब-खुद गुनगुनाने लगते हैं। दिमाग का घोड़ा दौड़ता है तेजी से कुछ कह जाने को और दिल भावनाओं से भर कर उसे और भी ज़्यादा खूबसूरत बना देता है। बस यही से मेरी लिखने की कहानी शुरू होती है। अब कुदरत से सिर्फ यही दुआ है कि अगर मेरे अल्फ़ाज़ किसी को उसकी भावनाओं से जोड़ पाते हैं, तो आज मेरा लेखन सफल हो जाएगा और मैं अपनी कलम की उम्मीद पर खरा उतर पाऊँगा।
About the author
मुझे साहित्य में रुचि बचपन से ही थी। बचपन से ही मुझे पढ़ने का बड़ा शौक था । मैंने बहुत सारे कवि, शायरों और लेखकों की किताबों को बड़ी गहराई से पड़ा है, समझा है। पढ़ते-पढ़ते ही धीरे-धीरे मुझ में लिखने की कला भी आने लगी, मैंने लिखना शुरू किया लिखने के ये सिलसिला डायरी से शुरू हुआ था, जो आज जाकर इस किताब पर रुका है, रुका नहीं है! बल्कि आगे चलता भी रहेगा। इस किताब में मेरी आज तक की लिखी गई सारी शायरी, कविताएँ है। कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें मैं गीत भी कह सकता हूँ। मेरा जन्म 1992 में हुआ था। मैं छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से हूँ। साहित्य में रुचि ने मुझे लिखने की प्रेरणा दी। मुझे उम्मीद है, कि मेरी लिखी गई इस किताब से लोग खुद को जोड़ पाएंगे।
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