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Kuchh Bich Pankti Ke Saar

149.00

by Narendrasinh.B.Gohil

ISBN: 9789354460029

PRICE: 149

Pages: 143

Language: Hindi

Category: POETRY / General

Delivery Time: 7-9 Days

  

Description

कुछ बीच पंक्ति के सार के प्रथम खंड मे जीवन की वास्तविकताओ को काल्पनिक तरीके से शायराना अंदाज मे पेश करने की कोशिश की गयी है ।जिंदगी मे कही बार बोला कुछ ओर जाता है और उसका भाव या अर्थ कुछ ओर होता है,कई बार कुछ बोला नहीं जाता है पर सिर्फ समजना होता है-इसको बीच पंक्ति का सार बोलते है । जो व्यक्ति ये बीच पंक्ति के सार को नहीं समज सकता है वो मूर्ख है । पर ये बीच पंक्ति के सार को समजने के लिये थोड़ी सी बुद्धीमता की जरूरत होती है । हा इसमे कोई अलग से शिक्षित होने की जरूरत नहीं है बल्कि कई बार कम पढे लोग ये बीच पंक्ति के सार को ज्यादा जल्दी और अच्छी तरह समज सकते है ।जो लोग इस बीच पंक्ति के सार को जितना जल्दी समज ले उसको ही समजदार व्यक्ति कहा जाता है । यहा पर पुरानी कहावतों,पुरानी कथाओ के संदर्भ मे भी जीवन की वास्तविकताओ को समजाने की कोशिश की गयी है। इसमे समाज के हर व्यक्ति के द्रस्टीकोण से शायरी लिखी गयी है चाहे वो प्रेमी हो,गरीब हो,अमीर हो,मजदूर हो,साधू-संत हो या खुद खुदा क्यू न हो । जिस नज़्म को समजने मे कठिनाई हो रही है इसके ऊपर थोड़ा सा शीर्षक दिया गया है ताकि समजने मे आसान रहे । ये सब शायरी हर इंसान को कही ना कि , किसी भी रूप मे अपने जीवन से ताल्लुक रखती होगी । “कुछ बीच पंक्ति के सार ” के द्वितीय खंड मे छोटी-छोटी कविताओ का संग्रह है । खास दोर पे ये कविताये प्रकृति पर लिखी गयी है । हम सुख-शांति ढूँढने के चक्कर मे प्रकृति से बिखरते ही गये, पर हुआ उल्टा की सुख की बजाय हमारे जीवन मे अशांति बढ़ती ही जा रही है । इस काव्य संग्रह का एक ही उदेश्य है की हम प्रकृति की ओर वापिस आये ।

About The Author

 

नरेंद्रसिंह.बी.गोहिल गुजरात की सरकारी इजनेरी कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक्स & कम्युनिकेशन विभाग मे सहायक प्राध्यापक के रूप मे कार्यरत है ।अपनी पी.एच.डी इलेक्ट्रॉनिक्स & कम्युनिकेशन मे पूर्ण करके लिखने के शौख को आगे बढ़ाते हुए अलग-अलग घटनाओ पर लिखना शरू किया । आध्यात्मिकता और प्रकृति उनके मनपसंद विषय है । उनका मानना है की मानव चाहे जितनी भी भौतिक प्रगति कर ले उनको आखिर शांति के लिये उन दोनों पर वापिस आना ही पड़ेगा । संसार के हर समस्या का उकेल उपरोक्त विषयो मे ही है । उनका ये भी मानना है की लोग जैसे भौतिक सुख के लिये पश्चिम की ओर दोट लगाते है एसे ही शाश्वत सुख के लिये सबको भारतवर्ष की ओर आना ही पड़ेगा ।

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