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Konark Ke Aansoo

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By: Santosh Mohanty ‘Deep’

ISBN: 9789356732537

Page: 140

Price: 199

Category: Religion / General

Delivery Time: 7-9 Days

Description

ABOUT  THE  BOOK

इस खण्ड काव्य में बताया गया है उत्कल के महाप्रतापी महाराजा नरसिंह देव द्वारा राज्य पर आक्रमण करने वाले आतताई तुघरिल तुघन खान पर विजय प्राप्ति के उपलक्ष में कोणार्क में सूर्य मन्दिर के निर्माण का संकल्प किया जाता है । इस निर्माण कार्य को महान शिल्पकार बिशु महाराणा के निर्देशन में १२०० शिल्पकारों द्वारा बारह वर्ष में पूर्ण करने की चुनौती दी जाती है । इस प्रकल्प को पूर्ण करने में प्रधान शिल्पी को अपनी गर्भवती प्रिय पत्नी को छोड़ कर जाना होता है, जो बाद में एक पुत्र को जन्म देती है जिसका नाम धर्मपद है जो वास्तव में इस खंडकाव्य का प्रमुख पात्र है । विभिन्न घटनाक्रमों को समावेशित कर खंडकाव्य को प्रवाह दिया गया है ।

एक अबोध बालक धर्मपद की प्रेरणाप्रद गाथा जो कर्तव्यबोध एवं त्याग से परिपूरित है मन को भीतर तक प्रभावित करती है । जब तक कोणार्क का मन्दिर रहेगा, सागर रहेगा, धर्मपद अनंत काल तक– ‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई’ का सन्देश देता हुआ अमर रहेगा ।

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