Description
About the book
इस पुस्तक में “ईश्वर” को एक आध्यात्मिक वास्तविकता के रूप में दर्शाया गया है। इस वास्तविकता को किसी भी वैज्ञानिक पद्धति से जांचा-परखा नहीं जा सकता । परन्तु, मन की शांति, ईश्वर के प्रति अटूट आस्था एवं विश्वास, तथा प्रज्ञा जैसी व्यक्तिगत विधि द्वारा बड़ी आसानी से अनुभव किया जा सकता है। इतना ही नहीं, श्रद्धा, प्रबल इच्छा, एवं गहन ध्यान के द्वारा उनके मूलस्वरूप को महसूस कर उनका दिव्य-दर्शन भी किया जा सकता है। यह पुस्तक क्वांटम भौतिकी के सिद्धांत एवं अल्बर्ट आइंस्टीन के समीकरण पर आधारित है जो कहता है कि पर्यवेक्षण-शक्ति द्वारा “ऊर्जा को पदार्थ में तथा पदार्थ को ऊर्जा” में रूपान्तरित होते हुए देखा जा सकता है।
About the author
एम. बी. शरण (पीएच. डी) मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग, आईआईटी, खड़गपुर के मनोविज्ञान के पूर्व प्रोफेसर हैं, जहां उन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को मनोविज्ञान और प्रबंधन का पाठ्यक्रम पढ़ाया। इस अवधि के दौरान, वे दो बार विभागाध्यक्ष रहे और उन्होंने आईआईटी, यूजीसी और यूपीएससी की विभिन्न समितियों में भी कार्य किया। 1990 में, वे ‘नेशनल काउंसिल ऑन फैमिली रिलेशंस’ द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपना पेपर प्रस्तुत करने के लिए सिएटल भी गए। 1975 में आईआईटी में सेवा शुरू करने से पूर्व, वे पटना कॉलेज, पटना एवं टीएनबी कॉलेज, भागलपुर में 10 से अधिक वर्षों तक मनोविज्ञान के व्याख्याता रहे। 2005 में आईआईटी सेवा से अवकाश प्राप्ति के बाद, उन्होंने राउरकेला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, राउरकेला में डीन (अकादमिक) और प्रिंसिपल, पीआईईटी, राउरकेला में इमिरेट्स (सेवामुक्त) प्रोफेसर और 2014 तक आईआईटी, पटना में वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वर्ष 2006-2007 के दौरान वे ‘नैशनल अकादमी ऑफ़ साइकोलॉजी’ के ‘अध्यक्ष’ भी रहे। ‘हू इज़ हू इन द वर्ल्ड’ के आठवें संस्करण में उनकी जीवनी भी प्रकाशित हुई है। उनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और यह दसवीं है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में बहुत सारे आलेख छप चुके हैं। शिक्षण और शोध के अलावा, वे “पारस्परिक कौशल”, “नियोजन कौशल”, “अध्ययन और शिक्षण कौशल”, “संबंधों का निर्माण”, “युवा दिखें और दीर्घायु पाएँ” आदि जैसे सम-सामयिक विषयों पर अल्पकालिक पाठ्यक्रम भी आयोजित करते रहे हैं। सम्प्रति, वे और उनकी जीवन संगिनी सविता शरण, अपने गाँव वलीपुर, जिला सीतामढ़ी, बिहार में स्थापित श्री सीता राम सरस्वती विद्या मंदिर में ग्रामीण बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं।
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