Description
इंद्रधनुष देश के अलग अलग सात शहरों में बसने वाली लेखिकाओं की लेखनी के रंगों का मिलन है। अभिव्यक्ति,कहानी कथन,मनोभाव चित्रण, साहित्यिक भाषा में विविधता ली हुई सात अलग अलग रंग की कहानियों को एक कैनवस पर एक साथ रखने का ये एक प्रयास है। ये सभी लेखिकायें अलग अलग परिवेश से आती हैं, पर इनकी कहानियों के किरदारों की सुख दुःख की कथायें साँझा चूल्हा में पकी रोटियों की तरह सामने आतीं हैं। इनकी कहानियों में जन्म से लेकर मृत्यु तक कोई ऐसा रंग नही है, जो छूट गया हो। कहीं जबलपुर की शुभिका गर्ग की नायिका गुलाबी साड़ी में माँ की सीख को आँचल में बाँध कर मन मोह लेती है तो कहीं प्रयागराज की कविता जयंत की विमला दर्द के सुप्त ज्वालामुखी ढोने से विद्रोह करके हमारे मन को उद्वेलित कर जाती है। जोधपुर की अनामिका अनु की कहानी दिखाती है कि एक असंभव से दिखने वाले रिश्ते में अगाध प्रेम के अंकुर उगते रहते हैं, तो आसनसोल, प. बंगाल की अर्चना आनंद भारती की लेखनी ये प्रश्न छोड़ जाती है कि क्या ऐसा नही लगता, जीते जी जो उपेक्षित था, मृत्योपरांत उसकी लाश को बहुत सी लाशें साहचर्य देने पहुँची हों? जहाँ एक ओर लखनऊ की टि्वंकल तोमर सिंह की गरीब गुड़िया लक्ष्मी जी से मालकिन को और धन देने की प्रार्थना करते हुये कहीं न कहीं हृदय को भेद जाती है, वहीं दूसरी ओर इन्दौर की श्वेता सिंह शर्मा के दादा जी अपनी गुजरी हुई पत्नी की यादों में खोये रहकर प्रेम का आदर्श रूप प्रस्तुत करके हमारे मन को बाँध लेते हैं। साथ ही दिल्ली की मोना कपूर की सास बहू में चलती खिटपिट और मनुहार मन को गुदगुदा जाती है। यह कहानी संग्रह अपने नाम को सार्थक करता है और पाठकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का भरपूर प्रयास करता है।
Reviews
There are no reviews yet.