Description
ABOUT THE BOOK
मनुष्य शब्द की उत्पत्ति ‘मन’ से सम्बंधित है। ‘मन’ है तो ‘भगवान’ भी है, ‘भगवान’ है तो ‘शैतान’ के भी होने की संभावना है। और “संभावना” ही मनुष्य को आगे बढ़ने, सोचने और कुछ भी करने को प्रेरित करती है, और ‘संभावना” है तो जीवन है। मेरा नाम “आलोक” है। ‘आलोक’ इस कहानी का लेखक नहीं, मैं ‘आलोक’ इस कहानी के मुख्य किरदारों में से एक हूँ। में ही इस कहानी की भावनाओं से आप लोगों को रु-ब-रु कराऊंगा। यह कहानी इंसानों के बीच नहीं, बल्कि उनके विचारों के बीच है। व्यक्तिगत स्तर पर मेरा मानना है कि दुनिया में सारी लड़ाइयां विचारों के बीच ही है और पता नहीं क्यों हर इंसान को उसका विचार, अंतिम सत्य लगता है और यहीं से शुरू होती है राजनीति। यह कहानी थोड़ी अलग है क्योंकि यहाँ दोनों ही विचार मानते हैं कि भगवान है, एक भगवान से नाराज है और उसका कहना है कि भगवान है तो मेरे सामने आए या तो मैं इस सृष्टि का संतुलन ही बिगाड़ दूंगा, पृथ्वी को प्रलय की आग में झोंक दूंगा। और दूसरा उसे रोकने की पूरी कोशिश करता है। जहाँ पूरा विज्ञान और अध्यात्म ‘मन’ को लेकर आज भी कोई सटीक जवाब देने को तैयार नहीं है, वहीं इस कहानी का एक किरदार ‘मन’ के अस्तित्व को समझने का दावा करता है, बल्कि उसका उपयोग कर धरती के पूरे मनुष्य को अपने वश में कर लेता है। वहीं दूसरा ‘मन’ से आज़ाद होने का उपाय ढूंढता है ताकि धरती को शमशान होने से बचाया जा
सके। यह कहानी थोड़ी अलग है इसलिए भी है क्योंकि यहाँ दोनों विचार ‘फ्री विल’ जैसे शब्द का समर्थन नहीं करते, लेकिन एक मानता है कि अगर ‘फ्री विल’ नहीं, तो धरती की तबाही का जिम्मेवार भगवान ही है। वहीं दूसरा भी मानता है कि भगवान ही है. पर अंत में कुछ तबाह नहीं होगा, बस सब देखने के ऊपर निर्भर करता है कि कौन किस चीज को कैसे देख रहा है। एक और किरदार है जिसने 5000 साल से अपने दिमाग को जिन्दा रखा है और अपने आप को ‘क्रष्णद्वैपायन” (वेद व्यास) का दोस्त बताता है। उसका कहना है “कृष्णद्वैपायन’ छलिया था। खुद को विष्णु का अवतार बताकर, दुनिया को बेवकूफ बनाता था और मुझसे जलता था। उसके साथ समस्या यह है कि सिर्फ उसका दिमाग जिन्दा है और वह दूसरे शरीर की तलाश में है, शरीर यानी उसके लिए एक रोबोट तैयार किया है। उसका एक ही मकसद है कि इस दुनिया को तबाह कर, एक नई दुनिया बनाना। वह भी अपने आप को इस कहानी का हीरो ही कहता है। वह भी भगवान की बनाई हुई इस व्यवस्था को नकारता है और कहता है, इस व्यवस्था के अनुसार यहाँ सिर्फ दुःख-दर्द है इसीलिए इसे नष्ट कर, अपनी खुद की दुनिया बनना चाहता है। लोगों को जागृत करने के लिए, वह इस दुनिया के भ्रम को. सबकी आँखों के सामने से हटाना चाहता है। अब वह सच में इस कहानी का हीरो है या विलेन, ये तो आप लोगों को पढ़कर ही मालूम पड़ेगा।
इस कहानी का मुख्य बिंदु ‘भगवान’ है, शायद इसलिए कि हम सभी के जीवन का मुख्य बिंदु भी “भगवान” ही है। आइए मिलते हैं कहानी के अन्दर और देखते हैं कि क्या सच में, मैं ही वह शक्तिमान हूँ, क्या मैं इस दुनिया को बचा पाऊंगा? आइए मिलते हैं इस कहानी के अन्दर जहाँ आप लोगों को मेरे और सती के प्यार को जानने का मौका मिलेगा। सती भौतिक रूप से मेरे साथ नहीं है, लेकिन आत्मिक रूप से सदैव मेरे साथ है और कई जगहों पर सती खुद आप लोगों से बात करेगी। इस कहानी के अंत में, क्या मैं जिन्दा बच पाऊंगा, क्या सती भौतिक रूप से इस धरती पर न होकर भी, इस लडाई को रोकने में, मेरा साथ दे पाएगी? कई सवालों के जवाब सच में मेरे पास भी नहीं है, लेकिन उम्मीद है. यह कहानी खुद ही समय पर अपने हर गुत्थी को सुलझाएगी।
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