Description
इन शब्दों के साथ मैं सचिन कुमार गुप्ता , अपने इस काव्य संग्रह “ बिखरे – बिखरे से शब्द मेरे ’’ के माध्यम से आप सभी का हार्दिक अभिवादन करता हुँ | “ बिखरे – बिखरे से शब्द मेरे ’’ मेरे द्वारा रचित यह दूसरा काव्य संग्रह है , जो मेरे लिए एक तपस्या से कुछ कम नहीं है | क्यूँकी इसमे मैंने जिन कविताओं का संग्रह तैयार किया है ,उनकी रचनाओं का सफर काफी लंबा एवं कष्टों भरा है जिसे कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है | प्रस्तुत काव्य संग्रह में मेरे द्वारा उन कविताओं को संग्रहीत किया गया है जो मेरे लिए बिखरे – बिखरे से थे , जिनकी रचना करते समय मैंने यह सोचा भी न था की एक दिन मैं इन कविताओं का दूसरा संग्रह भी तैयार कर पाऊँगा , वो भी उस परिवेश में रह कर जहाँ समय और कार्य , लेखन शैली को निखारने के लिए अनुकूल नहीं है | फिर भी इस विपरीत परिवेश में रह कर मैंने इस कार्य को कई संघर्षों के साथ कर डाला हुँ क्यूँकी मेरा मानना है , करने वाले तो कर जाते है और ना करने वाले बहानों मे खो जाते हैं |
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