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BHU ke wo din – Banaras Hindu University Ki Chatak Kahaniyan Aur Kavitayein

199.00

by: Amit Ranjan ‘Aryan’

ISBN: 9789354463426

PRICE: 199

Pages: 146

Language: Hindi

Category: BIOGRAPHY & AUTOBIOGRAPHY / Literary

Delivery Time: 7-9 Days

Description

About the book

‘बी.एच.यू. के वो दिन’ चटक कहानियों और कविताओं का संग्रह है जो बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में पढ़े हुए स्टूडेंट्स के बिताये हुए मजेदार पलों पर आधारित है। ये कहानियां और कवितायेँ स्टूडेंट्स के बी.एच.यू. के उन दिनों को तरोताजा कर देंगी जब वे खुलकर मस्ती और पढाई किया करते थे। हर एक कहानी और कविता आपको यूनिवर्सिटी और आपके स्टूडेंट लाइफ की याद दिलाएगी और आप खो जाएंगे उन मीठी प्यारी यादों में , जहाँ प्यार था, झगड़े थे, दोस्तों की यारी थी, गर्लफ्रेंड के लिए मारा मारी थी। इन कहानियों और कविताओं का एक ही मकसद है और वो है, इस स्ट्रेस भरी जिंदगी में आपके चेहरे पर मुस्कराहट लाना । ये किताब आपको बी.एच.यू. और बनारस की प्यारी सी दुनिया में सैर कराएगी और आपको अपने बिछड़े हुए पुराने दोस्तों की याद दिलाएगी। ये किताब आपको आपके पुराने एकतरफा प्यार में फिर से खो जाने के लिए मजबूर करेगी। ये किताब आपको फिर से कैंपस में दोस्तों के साथ चाय पीने के लिए बुलाएगी। ये कहानियां और कविताएं ना केवल बी.एच.यू. के स्टूडेंट्स के लिए ही है , बल्कि उन तमाम स्टूडेंट्स के लिए उतनी ही मजेदार है जो भारत के किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढाई कर चुके है या पढ़ रहे है। ये किताब हिंदुस्तान के सभी लोगों के लिए है जो इस मजेदार जिंदगी के छोटे छोटे पलों में जीना भूलकर एक बहुत बड़े लक्ष्य को पाने में व्यस्त हो चुके हैं। आपके कॉलेज के दिनों की मुस्कराहट और हंसी को वापस लाने की अपनी कोशिश में जरूर कामयाब होगी ये किताब।

About the author

सर्टिफिकेट में नाम अमित रंजन है, पर दोस्त प्यार से ‘आर्यन’ कहते हैं । गुस्से में ‘ अमित’ कहते हैं और ज्यादा नाराज़ हों तो ‘अमित रंजन’ कह लेते हैं । इसलिए दोस्तों का मूड समझने में कभी दिक्कत नहीं हुई । बीएचयू में बीए आर्ट्स पढ़ना चाहते थे पर साइंस में एडमिशन लेना पड़ा। बी.ए. और बी.एस.सी. दोनों का एंट्रेंस दिए थे । दोनों का एडमिशन लैटर हमार भुलक्कड़ मकान मालकिन आंटी एक ही दिन दीं । आर्ट्स में बारहवां रैंक था, जिसके चलते काउंसलिंग दस दिन पहले ही हो गया था । इत्तफाक से बी.एस.सी. वाला काउंसलिंग अगले दिन ही था, सो साइंस में ही एडमिशन ले लिए । बिरला हॉस्टल में रहते पर ब्रोचा हॉस्टल के हो गए । पढाई करने का कभी मन नहीं करता था और ना ही कोई बड़ा आदमी बनना था, बचपन से ही । 2002 में ही सोच लिए थे कि बीस हज़ार रुपया मिल जाए हर एक महीना तो जिंदगी बढ़िया से काट लेंगे । इसलिए पढाई पास करने के लिए ही पढ़े हमेशा । गाना गाना, कविता कहानी लिखना, लड़ाई करना, कार्टून बनाना, बकवास करना, घूमना …बस यही सब करते रहे हमेशा । आज भी यही आदत है । 2005 में बी.एस.सी (जियोलॉजी), बी.एच.यू से पास किये; 2007 में एम्.एस.सी (जिओफिजिक्स), आई.आई.टी (खड़गपुर) से; फिर वही बीस हज़ार पाने के फेर में नौकरी शुरू कर दिए l 2014 में एम.बी.ए (एच.आर) पास किये और यू.जी.सी (नेट) (एच.आर) भी पास करके रख लिए कि जब लगेगा की मजा नहीं आ रहा है जिंदगी में तो प्रोफेसर बनकर भी थोड़ा देख लेंगे । पढ़ते पढ़ते बहुत दूर चले गए थे फिर समझ में आया कि कोई ख़ास फायदा है नहीं । अभी एक कंपनी में डिप्टी चीफ इंजीनियर हैं । 14 साल हो गए नौकरी के । अभी भी मौका बनाकर घूमने निकल जाते हैं और मनभर फोटो खींचते हैं । मकसद है, भारत का हर एक जगह घूमना, आराम से । एक समय मध्य प्रदेश के टॉप 10 युथ सिंगर की लिस्ट में थे । अब बस अपने मजे के लिए गाते हैं । कविता, कहानी, सिनेमा का वाहयात् टाइप रिव्यु लिखते रहते हैं । लोग पढ़े ना पढ़ें, मजा आते रहता है । उसी बहाने लोग गरिआ लेते हैं, सुकून मिल जाता है । टेंशन कभी हो तो याद करने का । हँसाने का एक रूपया चार्ज करते हैं और हँसाने के बाद लौटा देते हैं ।

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