Description
नेपाल हिमालय के दक्षिण ओर बसा एक छोटा राष्ट्र है जो भारत के लिए विशेष सामरिक महत्व रखता है क्योंकि नेपाल की उत्तरी सीमा चीन के तिब्बत प्रान्त से मिलती है। नेपाल भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित तथा चीन एवं भारत के मध्य एक प्रतिरोधक मध्यस्थ राज्य की भूमिका निभा रहा है। नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना तथा भारत में एन.डी.ए. सरकार के गठन के पश्चात् भारत पड़ौसी देशों के प्रति सकारात्मक सम्बन्धों को महत्व दे रहा है, विशेष रूप से नेपाल के साथ कई सम्बन्धों को नई दिशा देने का सशक्त धरातल तैयार हुआ है, परन्तु नेपाल की विदेश नीति में चीनी तत्व की सशक्त उपस्थिति और नेपाल की आंतरिक राजनीति में अशांति का दौर और अन्य नकारात्मक पहलू भारत-नेपाल सम्बन्धों की संभावनाओं पर विराम लगाते है। हाल ही चीन पाकिस्तान सम्बन्धों का नवीन अध्याय भी शुरू हुआ है, जिससे दक्षिण एशिया क्षेत्र की राजनीति भी प्रभावित हो रही है। उक्त सन्दर्भ में भारत-नेपाल सम्बन्धों का प्रासंगिक अध्ययन आवश्यक हो गया है। प्रस्तुत पुस्तक की कालगत सीमा 1947 से 2022 तक रखी गयी है। 21वीं सदी में अन्तर्राष्ट्रीय सन्दर्भ में राष्ट्रीय प्रभुसत्ता के कठोर प्रतिमान आर्थिक रूप से पारस्परिक आत्मनिर्भरता के सम्बन्धों पर आधारित होते जा रहे है, ऐसी स्थिति में भारत व नेपाल दोनों को अपने राष्ट्रीय, क्षेत्रीय प्रतिमानों के साथ’-साथ सहयोग के नवीन आधार ढूंढने की आवश्यकता है। दोनों देश अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा व राष्ट्रीय हितों केा ध्यान में रखकर विदेश नीति का निर्धारण करें तभी वे स्वतंत्र रूप से बहुआयामी राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय हितों का संवर्धन करने में सक्षम हो सकेंगे। वर्तमान समसामयिक परिदृश्य तथा दक्षिण एशिया क्षेत्र की राजनीति में परिर्वतन के मद्धेनजर भारत-नेपाल सम्बन्धों में उभरते आयाम, चुनौतियों व संभावनाएं मौजूद है। इस पुस्तक के लेखन में मुझे अनेक गुरूजनों, विद्वानों, विदेश व गृह मंत्रालय के उच्चस्तरीय अधिकारियों तथा मित्रों का सहयोग मिला है। मैं उन सभी का ऋणी हूँ। हार्दिक कृतज्ञता प्रो.बी.एम.शर्मा (पूर्व अध्यक्ष राज. लोक सेवा आयोग, पूर्व कुलपति-कोटा विश्वविद्यालय तथा वर्तमान उपाध्यक्ष भारतीय लोक प्रशासन संस्थान), प्रो. शिवदयाल गुप्ता (राज. विश्वविद्यालय), प्रो. श्याम मोहन अग्रवाल (राज. विश्वविद्यालय), प्रो. बी.सी. उप्रेती (पूर्व निदेशक दक्षिण एशिया अध्ययन केन्द्र, राज. विश्वविद्यालय) को ज्ञापित करता हूँ जिनकी अद्वितीय विद्वता व शैक्षणिक मार्गदर्शन के बिना यह संभव नहीं था। प्रिय मित्र डॉ. संजय कुमार शर्मा की विशेष प्रेरणा व उल्लेखनीय प्रयासों को विशेष धन्यवाद देना चाहूँगा। मैं उन सभी लेखकों, विचारकों एवं समीक्षकों का भी आभारी हूँ जिनकी अमूल्य कृतियों से मैं लाभान्वित रहा हूँ। परन्तु इन सब के पश्चात् यत्र तत्र विचार वैभिन्य एवं टंकण विषयक त्रुटियों के लिए क्षमा याचना ही मेरा एकमात्र संबंल है।
About the author
वैदेशिक सम्बन्धों एवम् अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के सन्दर्भ में व्यापक, दीर्ध व विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण रखने वाले डॉ. भुपेन्द्र सिंह यादव स्नातक व परास्नातक राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से उत्तीर्ण है। वर्ष 2007 में M.Phil “सिंध में जातीय समस्या” तथा वर्ष 2012 में Ph.D “भारत-नेपाल सम्बन्ध: उदीयमान परिप्रेक्ष्य में एक अध्ययन’’ शीर्षक पर सम्पादित करते हुए अपने शोध अध्ययन को विस्तार व आयाम प्रदान किये। UGC-NET उत्तीर्ण करने के साथ-साथ शोध व लेखन के क्रम में समय-समय पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में आयोजित कार्यशालाओं, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों व चिन्तन शिविरों में अपना उल्लेखनीय योगदान प्रस्तुत किया। अपने अकादमिक कार्य व शोध कार्य को विभिन्न शोध-पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं के आलेखों में अभिव्यक्त भी किया। लेखक ICSSR द्वारा प्रदत्त पोस्ट डॉक्टरल फैलोशिप योजना में 2 वर्ष का विशेष शोध-अध्ययन भारत-नेपाल सम्बन्ध पर कर चुके है तथा गृह मंत्रालय/विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के लिए परोक्ष रूप से कार्य कर रहे है।
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