Description
अविरल सिर्फ एक पुस्तक नहीं है, परन्तु जीवन के संघर्षों का काव्य दर्शन है। अपितु ये एक काव्य संघर्ष है परन्तु वास्तव में ये आज़ादी के बॉक्स के भारत के निर्माण का एक स्वरूप है। राजनीतिक फैसलों का देश ही जनता पर सामाजिक, आर्थिक, व्यक्तिगत रूप से क्या प्रभाव पड़ा, ये पुस्तक उसी घटना का एक चिंतन स्वरूप है।
About The Author
मेरठ के रहने वाले श्री मोहन लाल अग्रवाल जी का जन्म दिनांक 9 मई सन 1936 को नई दिल्ली में हुआ। इनकी प्राथमिक शिक्षा मोरादाबाद में हुई। उत्तर प्रदेश सरकार में चकबंदी अधिकारी रहते हुए आप सेवानिवृत्त हुए। भारत के राष्टपिता महात्मा गाँधी को अपना आदर्श मानते हुए इन्होने अपने जीवन में इमानदारी, सेवा भाव, सादगी और सरलता जैसे उच्च व्यवहारिक गुणों का अनुसरण किया जीवन के हर पड़ाव में विजय रहने वाले मोहनलाल जी एक अच्छे पिता, अच्छे पति, और अच्छे नागरिक के रूप में जाने जाते हैं। मगर बहुत ही कम लोग इनके अन्दर के कवि रूप से परिचित हैं। आपने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज़ादी के बाद के देश की महत्वपूर्ण घटनाओं को अपने काव्य में जगह दी। चाहे वो पाकिस्तान के विभाजन का विषय हो या फिर देश में आपातकाल का, आपकी रचनायें सदैव सत्ता पक्ष की नीतियों का शुद्ध विवरण प्रस्तुत करती हैं। बचपन से ही पढ़ने में रूचि रखने वाले मोहनलाल अपनी भावनाओं को कविता के मोती में परिवर्तित करके अपने सर्जन को, अपनी रचनाओं को काव्य-संग्रह में छुपा कर केवल अपने परिवार तक ही सीमित रखते थे। इनकी रचनाओं में जहाँ एक और संवेदना और कोमलता है, वहीँ दूसरी और ओज और तेज का प्रवाह भी है। आप विषयों के साथ साथ उनके समाधान पर भी चिंतन करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक ऐसी ही २५ बेजोड़ रचनाओ का समागम है।
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