Description
ABOUT THE BOOK
कभी-कभी एक छायाचित्र किसी व्यक्ति के पूरे व्यक्तित्व को साकार कर जाता है। बैक कवर पर दिया गया यह छायाचित्र उनके मूल व्यक्तित्व का सहज दर्पण है। पर्यावरण के प्रति परिवेश को परखती यह ईमानदार दृष्टि ध्यान को आकृष्ट करती है। राजीव रंजन शुक्ला का जन्म 27 अप्रैल 1973 को पटना में हुआ। उनके पिता डॉक्टर रामनंदन शुक्ला रसायन विज्ञान के व्याख्याता थे। मां संस्कृत में स्नातकोत्तर एवं माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका रहीं। साहित्य और विज्ञान के प्रति एक गहरा रुझान राजीव को उनसे ही मिला। विज्ञान के विद्यार्थी होने के कारण वैज्ञानिक तथ्यों को उन्होंने अपनी कविता में खूबसूरती से उकेरा है। पर्यावरण और विज्ञान का यह मेल उनकी कविताओं को एक अनोखी सुंदरता प्रदान करता है। राजीव की पहली रचना दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुई थी। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी कविताओं में पर्यावरण के प्रति उनकी चिंता साफ झलकती है। “शून्य” हो या “मानवीय संवेदना” हर विषय को उन्होंने अपनी कविताओं में स्थान दिया है। सहज सरल भाषा उनकी कविताओं की विशेषता है। भू-जल वैज्ञानिक होने के नाते प्रकृति से उनका सहज संवाद है। यह सहजता उनकी हर कविता में परिलक्षित होती है। अपने पिता की बौद्धिक छांव से अलग होने पर राजीव को उन कठिन घड़ियों ने उनको मानव परिणीति के अनेक नए रूपों से साक्षात्कार कराया। हिंदी भाषा के प्रति उनका गहरा लगाव है। ‘आपातकाल में सृजन’ उनकी पहली कविता संकलन है। राजीव की रचनाएं विशुद्ध भाव से उपजी कविताएं हैं। वे पाठकों को सहज भाव से एक सरल, सहज प्रकृति में ले जाती हैं । इसीलिए उनके हर पाठक वर्ग को, बाल से लेकर वृद्ध तक, उनकी रचनाएं पढ़ते समय उनकी सह-उपस्थिति का एहसास होता है। हम आशा करते हैं कि उनकी रचनाएं यूं ही आती रहेंगी और हमें मानवीय संवेदना के नए-नए अछूते पहलू से परिचय कराती रहेंगी।
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