Description
ABOUT THE BOOK
“प्राकृतिक अवधारणाओं और वैज्ञानिक तथ्यों से दिगर अमर वृक्ष के बारे में विचार कर लेते हैं? वृक्ष. एक जड़ से जमी मजबूती और स्थिरता को प्रदर्शित करता है, है न? जिसमे शीतलता, पोषणता और दूसरों को अधिकतम देने की प्रवृत्ति होती है. निःस्वार्थ. अमर वृक्ष अपनी तमाम खूबियों के अनंत और निरंतर जारी रहने का द्योतक है. इन्हीं सब बातों को ख्यालों में रखकर कहानी संग्रह का नाम “”अमर वृक्ष”” रखने का एक पर्यावरणीय और मानवीय विचार बनाया जा सका.
कहानी संग्रह में हमारे सामाजिक वातावरण के इर्दगिर्द घटित घटनाओं और पलों की छलक महसूस की जा सकती है. चुंकि हम समाज में रहते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं. इसलिए इसके दायरे में घटित घटनाओं की उपेक्षा कर अनभिज्ञता जाहिर करने की कोई सार्थक वजह नहीं बनायी जा सकती.
जिस प्रकार वृक्ष अपने संपूर्ण अस्तित्व और उपस्थिति का हमें अधिकतम प्रदान कर जाते हैं. उसी प्रकार हम समाज के भी वजूद का अधिकतम उपयोग करते हैं. इन्ही वजहों से हमें समान रूप से समाज और वृक्षों के हितों का ध्यान रखते हुए अपना आचरण बनाना होगा. जिससे आवश्यक परिवर्तनों को स्वीकारते हुए हमारे मूलभूत हितकारी सिद्धांतों की रक्षा हो सके. तभी हम समाज और वृक्षों की भांति अपनी ओर से उनके लिए अधिकतम हितकारी कार्यों को सार्थकता प्रदान कर सकते हैं.
– सुनील कुमार वर्मा”
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साहित्य में गहरी रुचि के कारण से सुनील कुमार वर्मा जी ने सतत अध्ययन और लेखन कार्य को जारी रखा और इन्हीं लगन और समर्पण की वजह से अभी तक इनकी एक उपन्यास “कांच का ताजमहल”, एक काव्य संग्रह “छू लो आकाश” और एक कहानी संग्रह “अमर वृक्ष” प्रकाशित हो चुके हैं. अब कहानी संग्रह “अमर वृक्ष” का नया संस्करण प्रकाशित होने जा रहा है. इसमें सम्मिलित कहानियां आपको पसंद आएं. इसी उत्साह और उम्मीद के साथ.
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