Description
“शब्दों की इस दुनिया में,
कदम हमारे नन्हे हैं,
है छोटी सी कलम थोड़ी स्याही,
पर विचार बहुत ही गढ़ने हैं I
प्रिय पाठक,
माँ सरस्वती के शुभाशीष से इस प्रकृति में विचर रहे रहस्य को समझने और समझाने का एक प्रयास प्रारम्भ किया है I जीवन का एक गूढ़ रहस्य इस भँवर में छिपा हुआ है I इसको समझते हुए किया जाने वाला प्रयास ही वर्तमान का गहना बनेगा और एक उज्जवल भविष्य की रचना करेगा I इतिहास से सीखकर एक नया इतिहास गढ़ने की कला इस मानव समाज को सीखना और समझना होगा I जीवन के हर आयाम को शब्दों के माध्यम से आप सभी सम्माननीय पाठकों के ज्ञान रुपी झोली में अर्पित करता हूँ I
जो कह ना सकूँगा प्रत्यक्ष रूप से,
कलम की स्याही ने बताया है
जो मन में थी सारी बातें,
मेरे शब्दों में सजाया है I
भावनाओं की गहराई से
शब्दों का गुलाम
II गौरव कुमार झा II “
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