Description
आखिरी खत जिंदगी के बीते पल का लेखा जोखा है। जब जब दिल दर्द से भरा, पन्नो पर शब्द बिखर गया। आखिरी खत मेरे मन की तरह कोरा ही रह गया। इस पुस्तक में नारी के विभिन्न पहलुओं को छुआ है, सहलाया है। मैं एक कलाकार भी हूँ, मेरी कला औऱ कविता में कोई अंतर नही है, मेरी रेखायें मेरे रंग औऱ मेरे शब्द नारी की कहानी कहता है।
About Author
बेला प्रसाद, जन्म 23 फरवरी, 1950। शिक्षा बी.ए.ऑनर्स हिंदी साहित्य, बी.फ़.ए., कला औऱ साहित्य में बचपन से रुचि रही है, मेरी कविता में भावना औऱ कल्पना की सघन छाया है। मेरी कविताओं में नारी के उत्पीड़न, दर्द, अकेलापन, सामाजिक अवहेलना और बिखरते आत्मविश्वाश को सहेजने की ललक है, और कुछ पाने की विह्वलता है। कविता में कला औऱ कला में कविता, मेरी कविता के छंद औऱ आत्मा है। ढलती शाम में दूसरे दिन के धूप के इंतजार में…….!
Reviews
There are no reviews yet.