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MERE DIL KI AWAAZ – Hardcover

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ग्रामा

169.00

By: राज कुमार “राज”

ISBN: 9789354468841

Price: 116

Page: 169

Category: Poetry / General

Delivery Time: 7-9 Days

Description

About the book

मैं मानती हूं, कि हम में से हर कोई महामानव बनने की योग्यता रखता है। परिस्थतियां तय करती हैं कि हमारी साधारणता में से ही असाधारणता की सृष्टि होती है या नहीं ।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने प्रतिकूल परिस्थियों में स्वयं को स्थापित किया और संसार के सामने आदर्श रूप प्रस्तुत किया । सब कुछ खोना और खोकर पाने का श्रेष्ठ उदाहरण हैं श्री राम। निराशा के क्षणों में,जिस नाम को याद करें वो आशा है श्री राम । कोरोना रूपी निराशा के काल में संजीवनी सी कवि हृदय पटल पर उभरी कविता ‘ग्रामा’ । ‘ग्रामा’ स्वयं में प्रभु श्री राम को समर्पित काव्य है । ‘ग्रामा’ भक्ति और कर्म का मिश्रण है तो साथ ही प्रेम की धारा भी प्रवाहित है ।
ग्रामा में सौल्हवीं शताब्दी की पृष्ठभूमि ली गई है, जिसमें ननकाना गांव के कृषक परिवार के संजय को नायक रूप में प्रस्तुत किया गया है । कविता में भारतवर्ष का सुदूर पश्चिम विस्तार बताते हुए, पाक को हिंदुस्तान का हिस्सा बताया है तथा वर्तमान स्थति का भी वर्णन किया है । ‘ग्रामा’ में प्राकृतिक सजीवता के साथ -साथ, धार्मिक सौहार्द, देश-प्रेम की भावना, भक्ति, कर्म और प्रेम को भी कवि जायसवाल जी ने बखूबी उकेरा है ।
ग्रामा छंदबद्ध रचना है,जिसमें आरंभ मंगलाचरण से हुआ है। करुणा, वियोग-विराग ,प्रणय, द्वन्द्व, मिलनयात्रा, नव आरंभ और इतिश्री अध्याय के समावेश से पाठक को स्वयं में समालेती है । भानुकूल शब्द चयन, उपयुक्त उपमाओं और कविता के कला पक्ष में अलंकारों का सटीक प्रयोग चार चाँद लगा रहें हैं ।
अपने शब्द वर्णन के माध्यम से हृदय पर चित्र उकेरती ग्रामा पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती है, अपने में समाहित करती है और अनंत मोक्ष का मार्ग दिखाती है ।
ग्रामा के लिए अनंत शुभकामनाएं ..

– श्रीमती मीनाक्षी “विधात्री“
कवयित्री एवं शिक्षिका

About the author

राज कुमार जायसवाल जी केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक हैं। हिंदी कविताओं में विशेष रुचि है। आपका जन्म छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार के पुरगांव में सन 1992 में हुआ। आपने प्रारंभिक शिक्षा गांव एवं पड़ोसी ग्राम पवनी से प्राप्त किया। उच्च शिक्षा के रायपुर गए। यह पुस्तक ग्रामा: एक अनुरागुनी आपकी प्रथम प्रकाशित रचना है।

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