Description
About the book
मैंने अपने गाँव आमका के दो सौ वर्ष पूरे होने पर अपने माता-पिता और पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए आमका का रावल परिवार पर पुस्तक लिखी है । इस गांव स्थापना मेरे पूर्वजों में से एक ठाकुर मोहर सिंह ने सात पीढ़ियों पहले 1818 में की थी। पुस्तक सभी सात पीढ़ियों के परिवार के सदस्यों का विवरण है। प्रत्येक परिवार के सदस्य की पहचान की गई है और उसकी तस्वीर पुस्तक की “सात पीढ़ी” सेक्शन में पीढ़ी के अनुसार शामिल है। कुल 146 सदस्यों में से, मृत या जीवित, 125 व्यक्तियों की तस्वीरें शामिल हैं। कुछ तस्वीरें नहीं हैं क्योंकि उस समय फोटोग्राफी की तकनीक प्रचलन में नहीं थी अथवा कुछ सदस्यों का पता नहीं चल पा रहा कि वो कहाँ है । इस उपलब्धि के लिए इस पुस्तक का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। परिवार के कुछ सदस्य जिन्होंने जीवन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और परिवार को नाम, प्रसिद्धि और गौरव दिलाया है, उन्हें “ज्वेल्स ऑफ़ द फॅमिली ” सेक्शन में उनकी उपलब्धियों को विवरण के साथ शामिल किया गया है। हमारे पूर्वजों ने 18वीं शताब्दी के दौरान तीन मंजिला पक्की इमारतों का निर्माण किया था। इनमें से कुछ इमारतें जिन्हें हवेली कहा जाता है, अभी भी मजबूत खड़ी हैं। उनकी तस्वीरें और उनके बारे में छोटा सा विवरण “आमका की हवेलियां” शीर्षक के तहत दिया गया है। परिवार का इतिहास 1526 से अब तक खोज कर निकला है। प्रत्येक प्रत्यक्ष (डायरेक्ट) वंशज का नाम 1526 से 1818 तक पुस्तक में दिया गया है। उसके बाद 1818 से लेकर आज तक परिवार के सदस्यों का वर्णन इस पुस्तक में है । परिवार की प्रत्येक शाखा के वंशवृक्ष को भी उपयुक्त स्थान पर सम्मिलित किया गया है। परिवार का एक वंशवृक्ष का निर्माण संभव नहीं था। वह पुस्तक में नहीं आ पाता । इसलिए, इसे परिवार की विभिन्न शाखाओं के अनुसार विभाजित किया गया है। पुस्तक भावी पीढ़ी के लाभ के लिए लिखी गई है। परिवार की आने वाली पीढ़ियां अपने पूर्वजों की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करेंगी। यह उनके लिए प्रेरणा का स्रोत भी होगा। मुझे आशा है कि पुस्तक ऐसे कई अन्य प्रमुख परिवारों को अपने अतीत को खोदने और भावी पीढ़ी के लिए मूल्यवान विरासत को प्रकट करने के लिए प्रेरित करेगी।
About the author
श्री महेंद्र सिंह का जन्म 14 अगस्त 1940 को गाँव आमका में हुआ था जो अब उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में हुई थी। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज से कार्मिक प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया। उन्होंने को आपरेटिव कॉलेज, लवबोरो, इंग्लैंड से कृषि सहकारी समितियों के प्रबंधन का कोर्स भी पूरा किया। श्री महेंद्र सिंह भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) के प्रबंध निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने NAFED से प्रतिनियुक्ति पर लगभग दो साल तक नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक के रूप में भी काम किया। श्री महेंद्र सिंह ने कुछ राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष संगठनों के कार्मिक नियमावली लिखी है। 2003 में इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस के कंट्री कंसल्टेंट के रूप में भारत में कृषि सहकारी समितियों और अनौपचारिक सहकारी किसान आंदोलन का एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया। इंटरनैशनल कोआपरेटिव अलायन्स ने यह रिपोर्ट पुस्तक के रुप में छापी है. इस पर उनके कोलोंबो अधिवेशन में चर्चा हुइ, श्री महेंद्र सिंह का नाम INFA पब्लिकेशंस इंडिया के व्हूज़ इज़ हू बुक 1991-92 में भी दर्ज है। श्री महेंद्र सिंह की यह पुस्तक आमका के रावल परिवार से सम्बंधित है । गांव आमका को उनके पूर्वज ठाकुर मोहर सिंह ने 1818 में बसाया था। गांव के दो सौ साल पूरे होने के अवसर पर और अपने माता-पिता, पूर्वजों और परिवार के अन्य सदस्यों को इस पुस्तक द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गयी है।
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