Description
प्रस्तुत पुस्तक में दो विषयों का समावेश है- आयुनिर्णय और चिकित्सा ज्योतिष। ये दोनों ही जटिल विषय हैं। पुस्तक के प्रथम भाग में श्री शर्मा ने प्राचीन ज्योतिष ग्रन्थों पर आधारित आयु निर्णय की कई शैलियों-जैसे जैमिनी पद्वति, गणित द्वारा निकाली हुई-पिण्डायु, अंशायु, नैसर्गिक आयु की प्रणाली, अष्टक वर्ग द्वारा आयु निर्णय तथा ग्रह स्थिति व दशा-अन्तर्दशा पर आधरित विधि से इन सबका उदाहरण कुण्डलियों के द्वारा विश्लेषण और सरल भाषा में अत्यन्त रोचक वर्णन किया है। आधुनिक काल में बड़े बड़े नगरों व शहरों में भाग-दौड़ व तीव्र गति के व्यस्त जीवन और उसकी बदलती हुई शैली से व्यक्ति में बढ़ते हुए तनाव के कारण वह भिन्न प्रकार की बीमारियों से पीडि़त रहता है।
पुस्तक के दूसरे भाग में चिकित्सा ज्योतिष का विवरण है। चिकित्सा की दृष्टि से ग्रहों, व भावों के कारकत्व, राशियों की विशेषताएँ और उनका शरीर के भिन्न भिन्न अंगों से सम्बन्ध्, कुण्डली में नैसर्गिक पाप ग्रहों व मारकेश आदि ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर दशा, गोचर से व्यक्ति पर ग्रहों के दुष्प्रभाव, जन्म कुण्डली के अतिरिक्त, नवमांश, दृेष्कोण तथा द्वादशांश के प्रयोग तथा वैैदिक ज्योतिष में उपलब्ध् अन्य विध्यिों के प्रयोग से बीमारी का प्रकोप होने के समय उसकी अवधि ,सही रोग, निदान तथा भिन्नभिन्न रोगों जैसे हृदय रोग, कैन्सर मधु मेह ‘डायबेटीज’ थाइरायड, पीलिया उच्च रक्त चाप, मानसिक, तनाव आदि आजकल सामान्यतया प्रचलित लगभग 20 बीमारियों का लेखक ने उनके पास ज्योतिष परामर्श के लिए आए व्यक्तियों की कुण्डलियों के क्रमानुसार और वैज्ञानिक ढ़ंग से किए गए विश्लेषण द्वारा उपयुक्त विवेचन किया है। जैसे एक डाक्टर बीमारियों के लिए रक्त की जांच आदि तथा व्यक्ति के प्रथक प्रथक कई परीक्षण करने के बाद करता है। इस प्रकार ज्योतिष चिकित्सा से रोग की पहचान करना एक प्रशंसनीय कार्य है।
Reviews
There are no reviews yet.