Description
सैनिक जीवन अत्यंत ही रोमांचकारी और उतार चढ़ाव से परिपूरित रहता है। उसके जीवन का लक्ष्य भी अलग होता है। सैनिक के जीवन में कई तरह की चुनौतियां आती रहती है। उन चुनौतियों का सामना करने का अंदाज उसका बिलकुल अलग रहता है जो एक आम आदमी से निश्चित रूप से हट कर रहता है। किसी भी समस्या का सामना करने का उसका तरीका भी जुझारूपन से भरा हुआ रहता है। एक सैनिक का सफरनामा एक ऐसे सैनिक के जीवन पर आधारित है जिसने अपने सम्पूर्ण सैनिक जीवन को एक अलग अंदाज में जिया। चुनौतियों का जीवटता के साथ सामना किया और एक सफल तथा विजयी सैनिक के रूप में स्वयं को सिद्ध किया। उसके जीवन में कितनी बार विषम परिस्थितियाँ निर्मित हुई। उन सभी से वह संघर्ष करता हुआ अंततः उसने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। उसका जीवन युवाओं के लिए अनुकरणीय है। यहाँ जिस सैनिक के सफरनामा को समावेशित किया गया है वह यथार्थ में एक ऐसा सैनिक है जिसके जीवन गाथा ने इस सृजन को कलमबद्ध करने हेतु प्रेरित किया। वह जांबाज सैनिक थे कर्नल दिलीप कुमार घोष – विशिष्ठ सेवा मैडल से अलंकृत। इस यथार्थ कथा को जब लिखना प्रारम्भ किया था तब कर्नल दिलीप कुमार घोष जीवित थे। उनसे कई बार मिलना हुआ तथा उन्हें पास बैठ कर उनकी वह वास्तविक कथा को उनके मुख से ही सुना जो उनके जीवन में घटित हो चुका था तथा उसको कलमबद्ध करना प्रारम्भ कर दिया। उनके जीवन में जो भी कुछ एक सैनिक के रूप में घटित हुआ वह निश्चित ही एक आम सैनिक से हटकर था जो अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण कहा जा सकता है। यह कहानी युवाओं के लिए एक प्रेरणास्पद विषय सिद्ध होगी इसमें संदेह नहीं है। इस कहानी में कई सकारात्मक सन्देश भी निहित हैं जो घटनाक्रम तथा कथानक से जुड़े हुए हैं। यह अत्यंत ही दुर्भाग्य का विषय है कि इस कथा के लेखन के अंतिम पड़ाव के लगभग ही कर्नल दिलीप कुमार घोष कैंसर से ग्रस्त होकर उस गंभीर बीमारी से जुझते हुए अततः मृत्यु को प्राप्त हुए। उनकी मृत्यु दिनांक 16 मई 2019 को हुई। एक वीर जांबाज़ सैनिक के सफ़र का अंत हुआ। इस पुस्तक के माध्यम से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। उनका जन्म 29 जनवरी 1938 को हुआ था। सेना में कमीशन 2 फरबरी 1964 को मिला। विवाह अपनी पत्नी रेखा से 31 मई 1965 में हुआ। सेना से सेवा निवृत्ति 19 मई 1995 को हुई तथा मृत्यु दिनांक 16 मई 2019 को हुआ।
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