Description
आज़ादी के पँख को मैंने अपनी जीवन की उतार चढ़ाव की मेज पर बैठ कर अपनी अनुभव की स्याही से तैयार किया।जिसके कागज को एकजुट करने में मेरे माता पिता भाई बहन एवं मेरे जीवन से जुड़े सभी व्यक्तियों का सहयोग रहा है। हौसलों के शब्दों से रची यह काव्य संग्रह पाठकों को अपने लक्ष्य को पाने में सहयोग करने के साथ-साथ एक नई साहस को जागृत करेगी।इसकी हर कविता की हर पंक्ति में आप गोते लगाकर अर्थों के अंबार के साथ वापस आएंगे। इस पुस्तक में जहाँ मैंने सैनिकों से पूछे हर प्रश्न का उत्तर देने का प्रयत्न किया है वही होली जैसे महापर्व की वैशाखी लेकर मैंने शत्रुता मिटाने एवं मैंने ग़रीबी की ओर भी ध्यान आकर्षित की हैएक नन्ही जान का सहारा लेकर मैंने बटवारा के संबंध में भी प्रश्न पूछने की कोशिश की है और जहाँ तक वीर-रस की कविताएं है वो पाठकों के नज़रिए से अपने अर्थ स्पष्ट करेगी।
About The Author
मेरा जन्म बिहार के दरभंगा जिले के भवानीपुर गाँव में हुआ। मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दरभंगा के दयानंद एंग्लो वेदिक विद्यालय से पूरी की एवं यांत्रिक अभियांत्रिकी से अपनी स्नातक स्तरीय शिक्षा पश्चिम बंगाल के कोलकाता जिले से, पूर्ण करने में प्रयत्नशील हूँ। विद्यापति एवं बाबा नागार्जुन जैसे महाकवि के जन्म स्थल पर जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त कर मिथिला के कण-कण में रचे संगीत के शब्दों को तोड़कर अपनी काव्य रचता हूँ।“शौक़ रखता हूं दो नावों पर सवार होनेअक्सर डूबने वाले ही किनारे की तलाश करते है”कविता की रचना का सारा श्रेय मैं मुझसे जुड़े सारे व्यक्तियों एवं उनके व्यतित्व को देता हूँ, मैं अपने माता-पिता एवं अपने परिवार के सभी सदस्यों को सहयोग देने के लिए उनका आभारी हूँ।
Reviews
There are no reviews yet.