Description
About the book
काव्य रचना वही कर पाता है, जो संवेदनशील हो और प्रकृति प्रदत्त हर वस्तु, प्राणिमात्र के स्पर्श और उसकी मूक-वाचाल भाषा को समझता हो और इस काव्य संग्रह में प्रकाशित प्रत्येक रचना इस सोच पर खरी उतरती हैं। युवा रचनाकार मुकेश सिंह एक संवेदनशील व्यक्ति हैं। उनकी कविताएं ह्रदय को छूती हैं। इस काव्य संग्रह में देशभक्ति, सामाजिक, और बाल रचनाओं के साथ साथ रोमांटिक तथा भावनात्मक कविताएँ भी सन्निविष्ट की गई हैं. ‘एक नया भारत बनाते हैं’, तू पार्थ बन, पुलिसवाले, अछूत, बन जा तू ज्वाला जैसी 40 से अधिक रचनाओं का यह संग्रह प्रत्येक वर्ग और आयु के पाठकों को बांधे रखती है. प्रस्तुत काव्य संग्रह की पूरी 40 की 40 कविताएँ एक नये समाज के निर्माण में नींव के पत्थर की भूमिका निभाती नजर आती है. अतः यह कहा जा सकता है कि प्रस्तुत काव्य संग्रह शब्दों की धार में साहित्य जगत के समालोचकों के साथ ही आम पाठकों को भी बहुत कुछ मिलेगा।
About the author
अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म सन् 1988 में पूर्वोत्तर भारतके असम राज्य के एक छोटे से शहर सिलापथार में हुआ हैl शिक्षा: डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से स्नातक (राजनीतिविज्ञान) तथा इग्नू से स्नातकोत्तर (हिन्दी) है। समसामयिक विषयों पर कलम चलानेवाले युवा कवि एवं लेखक मुकेश सिंह द्वारा रचित तकरीबन सौ से अधिक कविताएं तथा देश एवं समाज के विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर लिखे अनेकों लेख विभिन्न राष्ट्रीयए वं प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl इनके तीन ई-बुक्स भी डिजिटल प्रकाशनों में मॉस्ट रीड बुक्स की श्रेणी में चयनित हुए हैं।मुकेश अहिन्दीभाषी प्रदेश में रहकर भी हिन्दी की सेवा के व्रत के साथ साहित्य की कठोर साधना में जुटे हुए हैं l ‘शब्दों की धार’ इनकी पहली प्रकाशित काव्य संग्रह है।
Reviews
There are no reviews yet.