Description
इंसान के भीतर भावनाओं के सागर की झलक है इस रचना में। उम्मीद नाउम्मीदी की कड़ी को जोड़ने वाला प्यार और दर्द के सागर में डूबा, रिश्तों के रंग की बारीकियों की समझ, अपनों को खोने का ग़म, जीवन के खट्टे मीठे स्वाद से भरा, त्योहारों की खुशियों का छिड़काव , दिल में चढ़कर उतरने का हर एहसास है इस रचना में। पन्नों में जड़ी शब्दों की बांध नहीं हर धड़कन से गुज़र रगों में छिपे तान को छेड़ने वाली आवाज़ है इस रचना में।
About the About
रूढ़िवादी दुनिया की चहेती गुड़िया जब अपने खयालों का महल बनाने चली, बचपना समझ लोगों ने खेल तो लिया साथ, पर सोच की उड़ान उसकी, इस समाज की बेड़ियां तोड़ आत्मविश्वास का आलिंगन कर इसी समाज में अपनी जगह बना, अपना नया संसार बनाती, अपनी समझ के दायरे को लांघ अपनी भावनाओं और गैरों की खयालों और दर्द को समेट कागज़ पर क्रांति कर आज यें शब्दों से शांतिसंधि करने निकली है।
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