Description
कृष्णाभिसार केवल एक काव्य संग्रह ही नहीं, भाव संग्रह भी है। वे भावनाएँ जो मानस पटल पर अंकित हो जाएँ; जन्म देती हैं स्वयंभू कविताओं को। अतएव कवयित्री की हृदयाभिव्यक्ति का यथावत रूप प्रत्येक कविता में प्रतिबिंबित हुआ है। कृष्णाभिसार का शाब्दिक अर्थ है कृष्ण की ओर गमन। प्रस्तुत कविताएँ उस हृदय के २५ गवाक्ष हैं जो अपने आराध्य के श्रीचरणों की ओर उन्मुख हैं, उन्हीं के दर्शन करते हैं व कराने की चेष्टा करते हैं। भक्ति, प्रेम, क्षोभ, कोप, प्रतीक्षा, संयोग, वियोग, जीवन, मृत्यु आदि अनेकों भावनाओं व परिस्थितियों का समागम है कृष्णाभिसार। मूलतः यह संग्रह कण-कण में रमण करने वाले प्रभु श्रीकृष्ण के गुणों व लीलाओं को जीवंत करने का प्रयास मात्र है। अंततः प्रयास ही सफल हुआ करते हैं।
About The Author
ऋतिका ‘ऋतु'(ऋतिका यादव) का जन्म १५ अप्रैल सन् २००३ को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला गौतमबुद्ध नगर के महानगर नोएडा में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ।उनकी माता का नाम श्रीमती शिमलेश यादव तथा पिता का नाम श्री हरवीर सिंह है। प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा नगर के ही प्रख्यात विद्यालय से प्राप्त की। हिंदी साहित्य में विशेष रूचि होने के कारण ११ वर्ष की आयु में कविता लिखना प्रारंभ किया।
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