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Sanatana Aur Vigyaan

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KANT’S CRITIQUE OF RELIGIOUS DOMAIN

Original price was: ₹450.00.Current price is: ₹347.00.
KANT'S CRITIQUE OF RELIGIOUS DOMAIN

Sanatana Aur Vigyaan (Hardcover)

499.00

By: PANKAJ LOCHAN

ISBN: 9789363556706

PRICE: 499

Category: SANATANA & SCIENCE

Delivery Time: 7-9 Days

Description

यह लेखक की ग्यारहवीं किताब है और सनातन शिक्षा श्रृंखला की पहली कड़ी है। यह किताब सनातन धर्म की कालातीत ज्ञान-परंपरा की एक नई खोज और भारत की भूली-बिसरी विरासत पर गर्व को फिर से स्थापित करने का एक प्रयास है।
बहुत समय से, बहुत सारे हिन्दू और सनातन धर्म के अनुयायी अपनी सभ्यता की एक आसान लेकिन गहरी समझ चाहते रहे हैं। ये किताब सनातन धर्म के बारे में जानने की उत्सुकता रखने वाले शुरुआती पाठकों के लिए एक आसान गाइड है, जो प्राचीन भारत की ऐतिहासिकता, दर्शन एवं वैज्ञानिक योगदानों की एक स्पष्ट और सुलभ यात्रा प्रस्तुत करती है।
यह किताब तीन भागों में विभाजित है, और पाठकों को सनातन धर्म की समृद्ध एवं प्राचीन विरासत की यात्रा पर ले जाती है। पहला भाग इस सभ्यता की गहराई में जाता है, और ये दिखाता है कि भारत ने विश्व की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और ज्ञान प्रणालियों में कितनी महान भूमिका निभाई। ये उन ऐतिहासिक विकृतियों और झूठी कॉलोनियल थ्योरीज़ की भी आलोचनात्मक समीक्षा करता है, जिन्होंने भारत की वैश्विक सभ्यता निर्माण में भूमिका को कम करके प्रस्तुत किया।
दूसरा भाग सनातन जीवन शैली के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पक्ष, शैक्षणिक एवं दार्शनिक परंपराओं की संरचना, और शास्त्रों में समाहित ज्ञान के बारे में बताता है। फिर तीसरा भाग प्राचीन भारत के वैज्ञानिक उपलब्धियों को उजागर करता है: जैसे कि खगोलशास्त्र, गणित, चिकित्सा, धातुकर्म, अभियंत्रण और वास्तुकला, जिनमें से अनेक आधुनिक पश्चिमी खोजों से सैकड़ों या हजारों वर्ष पूर्व की हैं। उन्नत शल्यचिकित्सा तकनीकों से लेकर जटिल नगर नियोजन, और खगोलीय गणनाओं एवं भौतिकी व रसायन विज्ञान में आविष्कारों तक, यह भाग प्राचीन भारतीय विद्वानों के अद्वितीय योगदानों को सामने लाता है।
यह किताब केवल अतीत की कहानी नहीं है; यह भविष्य की चेतना है।
यह उन प्रश्नों का उत्तर है जो आज का हर जिज्ञासु सनातनी मन पूछता है: क्या हमारा अतीत वाकई उतना ही समृद्ध था जितना कहा जाता है?
यह पुस्तक केवल आँकड़ों से नहीं, बल्कि गर्व, तर्क और शोध से इस प्रश्न का उत्तर देती है। सनातन धर्म की वैज्ञानिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत को एक सरल, सुव्यवस्थित और प्रामाणिक शैली में प्रस्तुत करते हुए, यह आधुनिक पाठक को उसकी जड़ों से गहराई से जोड़ती है।
यदि आप जानना चाहते हैं कि भारत की प्राचीनता केवल भूतकाल नहीं, बल्कि हमारे आज और आने वाले कल की शक्ति है, तो यह किताब आपके लिए है।

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