Description
जब कोई मनुष्य शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो वह उन शिक्षकों, परिवारजनों और मित्रों का ऋणी हो जाता है, जिनकी मेहनत, मार्गदर्शन, प्रेरणा और प्रोत्साहन से उसका जीवन समृद्ध बनता है। यह पुस्तक उन सभी को समर्पित एक हार्दिक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने लेखक की शिक्षा यात्रा को आकार दिया।
कहानी के केंद्र में **क्षितिज** नामक पात्र है, जो अपने जीवन के साँझ और रात्रि के बीच खड़ा है। बढ़ती उम्र के इस पड़ाव में, अतीत की स्मृतियाँ उसका सहारा बन जाती हैं। जब वह नन्हे-मुन्नों को खेलते और सीखते देखता है—स्कूल के प्रांगण में, बागों में, खेल के मैदानों में—तो उसकी यादें उसे बचपन की शिक्षा यात्रा की ओर ले जाती हैं।
आज के बच्चों की शिक्षा सुविधाओं से भरपूर और व्यस्त हो गई है, लेकिन क्षितिज की नजरों में, शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित नहीं, बल्कि बचपन की उन मासूम खुशियों और सरल अनुभवों से जुड़ी है, जो जीवनभर यादों में बसे रहते हैं।
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